
डेस्क: रिकॉर्ड लो की ओर गिर रहे रुपए को सहारा देने के लिए देश के सेंट्रल बैंक (Central Bank) आरबीआई (RBI) ने कई हजार करोड़ रुपए के डॉलर बेच डाले हैं. इस ट्रांजेक्शन से परिचित लोगों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि इस महीने में रुपए को संभालने के लिए आरबीआई ने कम से कम 5 अरब डॉलर वैल्यू (Dollar Value) की अमेरिकी करेंसी बेची है. आरबीआई की ओर से अभी तक इस मामले में कोई ऑफिशियल बयान सामने नहीं आया है; अगर यह ट्रेंड आगे भी जारी रहा तो यह जनवरी के बाद से आरबीआई की शुद्ध डॉलर बिक्री का सबसे बड़ा महीना बन सकता है.
पिछले हफ्ते रुपया 87.89 प्रति डॉलर पर आ गया, जो अपने सर्वकालिक निचले स्तर से बस थोड़ा ही कम था क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 6 अगस्त को रूसी तेल की ख़रीद के दंड के रूप में भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को दोगुना करके 50 फीसदी कर दिया था. कमज़ोर रुपया आयातित महंगाई को बढ़ावा दे सकता है और पहले से ही कमजोर आर्थिक सुधार को और भी बदतर बना सकता है. यह हस्तक्षेप दिसंबर में पदभार ग्रहण करने वाले गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में आरबीआई के पहले के संयमित रुख से संभावित बदलाव का संकेत है.
इस साल अब तक रुपया 2 फीसदी से ज़्यादा गिर चुका है, जिससे यह एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसीज में से एक बन गया है. इस गिरावट का लगभग आधा हिस्सा पिछले दो हफ्तों में आया है. वो भी ऐसे समय में जब ट्रंप लगातार टैरिफ में इजाफा कर रहा है. इस मामले से वाकिफ दो लोगों ने नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा कि पिछले हफ्ते कई मौकों पर केंद्रीय बैंक को मुंबई समयानुसार सुबह 9 बजे घरेलू करेंसी ट्रेड शुरू होने से ठीक पहले ऑफशोर मार्केट में कदम रखते देखा गया.
तथाकथित नॉन-डिलीवरेबल फ़ॉरवर्ड्स पर भरोसा करने से केंद्रीय बैंक को बड़ी मात्रा में डॉलर बेचे बिना ही रुपए की चाल को दिशा देने की अनुमति मिलती है. पिछले साल केंद्रीय बैंक ने इस रणनीति पर काफी भरोसा किया था. आरबीआई के नवीनतम विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े भी हस्तक्षेप में वृद्धि की ओर इशारा करते हैं, जिसमें भंडार में 9.3 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है, जो नवंबर के बाद से सबसे बड़ी गिरावट है, जो 1 अगस्त को समाप्त सप्ताह में 689 बिलियन डॉलर हो गई है. गिरावट का एक हिस्सा ग्लोबल करेंसी में मूल्यांकन परिवर्तनों को प्रतिबिंबित कर सकता है, न कि केवल केंद्रीय बैंक की डॉलर की बिक्री या खरीद को.
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया सोमवार को शुरुआती कारोबार में आठ पैसे बढ़कर 87.50 पर पहुंच गया. अमेरिकी मुद्रा में कमजोरी के चलते निवेशक रूस और अमेरिका के बीच आगामी वार्ता से संकेतों का इंतजार कर रहे हैं. विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि भारतीय रुपया सोमवार को मामूली बढ़त के साथ खुला. इसके अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.25 से 87.80 के दायरे में रहने की उम्मीद है.
इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में रुपया, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.56 पर खुला और 87.50 के स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले बंद भाव से आठ पैसे की बढ़त दर्शाता है. रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.58 पर स्थिर बंद हुआ था. इस बीच, वायदा कारोबार में ब्रेंट क्रूड की कीमतें 0.48 प्रतिशत गिरकर 66.27 डॉलर प्रति बैरल पर आ गईं.
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