
नई दिल्ली: 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam terror attack) के बाद भारत ने पाकिस्तान (Pakistan) के खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि को रोकने का ऐलान किया था. इससे पाकिस्तान घुटनों पर आ गया है. इस फैसले को लेकर पाकिस्तान ने भारत से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की गुहार लगाई है.
पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय को पत्र लिखकर अपील की है कि भारत का यह कदम पाकिस्तान में गंभीर जलसंकट पैदा कर सकता है. पत्र में भारत से अपील की गई है कि वह इस निर्णय पर पुनर्विचार करे. सूत्रों के मुताबिक नियमानुसार यह पत्र भारत के विदेश मंत्रालय को भी भेज दिया गया है, लेकिन भारत ने पाकिस्तान की इस अपील को साफ तौर पर नकार दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम अपने संबोधन में दो टूक कहा था कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते. साथ ही कहा था कि हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर अपनी जवाबी कार्रवाई को अभी सिर्फ स्थगित किया है, आने वाले दिनों में हम पाकिस्तान के हर कदम को इस कसौटी पर मापेंगे कि वह क्या रवैया अपनाता है.
निश्चित तौर पर ये युग युद्ध का नहीं है, लेकिन ये युग आतंकवाद का भी नहीं है. टेररिज्म के खिलाफ जीरो टॉलरेंस, एक बेहतर दुनिया की गारंटी है. पाकिस्तानी फौज, पाकिस्तान की सरकार, जिस तरह आतंकवाद को खाद-पानी दे रहे हैं वो एक दिन पाकिस्तान को ही समाप्त कर देगा. पाकिस्तान को अगर बचना है, तो उसे अपने टेरर इंफ्रास्ट्रक्चर का सफाया करना ही होगा. भारत का मत एकदम स्पष्ट है- टेरर और टॉक, एक साथ नहीं हो सकते. टेरर और ट्रेड, एक साथ नहीं चल सकते. और… पानी और खून भी एक साथ नहीं बह सकता.
सिंधु जल समझौता तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी मिलिट्री जनरल अयूब खान के बीच कराची में सितंबर 1960 में हुआ था. सिंधु जल संधि के तहत भारत को सिंधु और उसकी सहायक नदियों से 19.5 फीसदी पानी मिलता है. जबकि पाकिस्तान को करीब 80 फीसदी पानी मिलता है. भारत अपने हिस्से में से भी करीब 90 फीसदी पानी ही उपयोग करता है.
साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु घाटी को 6 नदियों में विभाजित करते हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. इस समझौते के तहत दोनो देशों के बीच प्रत्येक साल सिंधु जल आयोग की बैठक अनिवार्य है. समझौते के तहत पू्र्वी नदियों पर भारत का अधिकार है. जबकि पश्चिमी नदियों को पाकिस्तान के अधिकार में दे दिया गया. इस समझौते की मध्यस्थता विश्व बैंक ने की थी. भारत को 3 पूर्वी नदियां सतलज, ब्यास और रावी आवंटित हुईं, जबकि पश्चिमी नदियां जैसे सिंधु, झेलम और चिनाब पाकिस्तान के हिस्से में गईं.

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