
नई दिल्ली। थोक और खुदरा महंगाई (Wholesale and Retail Inflation) में आई रिकॉर्ड गिरावट (Record fall) ने आरबीआई (RBI) के लिए ब्याज दरों में एक और कटौती (Another cut Interest rates) का आधार तैयार कर दिया है। खासकर खाद्य महंगाई दर के शून्य से नीचे जाने से इसकी संभावना बढ़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह लगातार 5वां महीना है, जब खुदरा महंगाई दर आरबीआई के 4 प्रतिशत के तय दायरे से नीचे बनी हुई है। इसे देखते हुए अगस्त या अक्टूबर में होने वाली मौद्रिक समीक्षा समिति की बैठक में रेपो रेट में कटौती का फैसला लिया जा सकता है।
अगर ऐसा हुआ तो होम लोन से लेकर ऑटो लोन तक सस्ते होंगे। पहले से चल रही ईएमआई भी कम होगी। देश की खुदरा महंगाई दर घटकर जून में 2.1% रह गई। यह पिछले पांच वर्षों में यह खुदरा महंगाई में लगातार गिरावट की सबसे लंबी शृंखला है।
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई के चार फीसदी के आसपास रहने का अनुमान जताया है। गौरतलब है कि आरबीआई को सरकार ने मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने लक्ष्य दिया है। आरबीआई रेपो दर पर फैसला लेते समय खुदरा महंगाई के आंकड़ों पर भी गौर करता है।
एसबीआई ने भी किया आकलन
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, महंगाई में गिरावट की मुख्य वजह खाने-पीने की चीजों खासकर सब्जियों और दालों की कीमतों में आई भारी गिरावट है। अगर महंगाई इसी तरह नियंत्रण में रही तो आगे दो फीसदी या उससे भी नीचे जा सकती है। इससे रिजर्व बैंक के पास ब्याज दर में और कटौती करने का मौका बनेगा। जून 2025 में पहले ही .50 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है। वहीं, फरवरी से अब तक कुल एक फीसदी की राहत आरबीआई की ओर से दी गई है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञों के अनुसारत, महंगाई में कमी का सिलसिला जारी है, जो थोक और खुदरा दोनों स्तरों पर देखा जा रहा है। खुदरा महंगाई अप्रत्याशित रूप से कम रही, खासकर सब्जियों की कीमतों में बड़ी गिरावट के कारण। सब्जियों को हटाकर भी खाद्य महंगाई नीचे की ओर बढ़ रही है। इससे खाद्य पदार्थों की कीमतों पर दबाव कम है।
इससे यह भी संकेत मिलता है कि वित्त वर्ष 2026 के लिए महंगाई का नया स्तर 3.0% से भी नीचे बन सकता है, जो आरबीआई के मौजूदा 3.7% के अनुमान से काफी कम है। आरबीआई ने पहले से ही महंगाई में कमी की उम्मीद के साथ ब्याज दरों में कटौती शुरू कर दी है, इसलिए आगे भी कटौती की संभावना बन सकती है।
क्या थे आरबीआई के संकेत
जून में हुई बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट में .50 फीसदी की बड़ी कटौती की थी, जबकि विशेषज्ञों को केवल 0.25 फीसदी की कटौती की उम्मीद थी। इसी के साथ आरबीआई ने यह भी संकेत दिया था कि साल के अंत तक महंगाई चार फीसदी से नीचे रहेगी, लेकिन ब्याज दरों में और कटौती की गुंजाइश कम है। हालांकि, यह भी संकेत दिए थे कि भविष्य की मौद्रिक नीति कार्रवाई आने वाले महंगाई के आंकड़ों पर निर्भर करेगी।
यह होगा असर
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर आरबीआई ब्याज दरों में कटौती करता है तो इसका असर कर्ज की ब्याज दरों पर देखने को मिलेगा। होम-कार और पर्सनल लोन समेत अन्य कर्ज की मासिक किस्त में भारी राहत मिलेगी। इससे बाजार में खर्च और निवेश दोनों बढ़ सकते हैं, जो अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में मदद करेगा।
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