
नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री (Foreign Minister of India) ने हाल ही में अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री (Acting Foreign Minister of Afghanistan) से फोन पर बातचीत की. विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि इस बातचीत में विदेश मंत्री ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी शब्दों में निंदा करने के लिए अफगान मंत्री को धन्यवाद दिया. बातचीत के दौरान विदेश मंत्री ने इस बात को भी सिरे से खारिज किया कि भारत और अफगानिस्तान के बीच कोई मतभेद है. उन्होंने कहा कि कुछ झूठे और मनगढ़ंत रिपोर्टों के ज़रिए दोनों देशों के बीच भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है, जिसे भारत पूरी तरह खारिज करता है.
तुर्की के बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि तुर्की, पाकिस्तान से यह अपील करेगा कि वह सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद करे और उस आतंकी ढांचे के खिलाफ विश्वसनीय व ठेस कदम उठाए जिसे उसने दशकों से पनाह दे रखी है. द्विपक्षीय रिश्ते एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर ही बनते हैं.” “सेलेबी (Celebi) मामले पर तुर्की दूतावास से चर्चा हुई है. लेकिन मेरी समझ के अनुसार यह निर्णय नागरिक उड्डयन सुरक्षा (Civil Aviation Security) द्वारा लिया गया था.”
प्रवक्ता ने यह भी बताया कि आगामी दिनों में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल की विदेश यात्रा में आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को प्रमुखता से प्रस्तुत किया जाएगा. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “जो देश आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं, उन्हें जिम्मेदार ठहराना और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब करना ज़रूरी है.”
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “कुल सात प्रतिनिधिमंडल हैं. तीन प्रतिनिधिमंडल रवाना हो चुके हैं… यह एक राजनीतिक मिशन है. हमारा उद्देश्य दुनिया से व्यापक संपर्क स्थापित करना है ताकि हम यह संदेश दे सकें कि भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. हम चाहते हैं कि दुनिया आतंकवाद के सभी रूपों और स्वरूपों के खिलाफ एकजुट हो. हम दुनिया से अपील करते हैं कि सीमा पार से होने वाले आतंकवाद के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाए. जो देश पिछले 40 वर्षों से भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं. पाकिस्तान की गतिविधियों को उजागर करना ज़रूरी है. उन्हें भारत पर किए गए आतंकी हमलों के लिए ज़िम्मेदार ठहराना चाहिए.”
डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए MEA प्रवक्ता ने कहा कि भारत की स्थिति पहले ही स्पष्ट की जा चुकी है. उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच चर्चा केवल द्विपक्षीय स्तर पर हो सकती है. “जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में भारत के लिए एकमात्र मुद्दा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) की वापसी है.”
उन्होंने यह भी कहा कि अगर पाकिस्तान उन आतंकवादियों को सौंपना चाहता है जिनके नाम भारत ने वर्षों पहले साझा किए थे, तो भारत बातचीत के लिए तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि “आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते, न ही आतंकवाद और व्यापार साथ काम कर सकते हैं.”सिंधु जल संधि (IWT) पर प्रवक्ता ने दोहराया कि यह तब तक निलंबित रहेगी जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस और मजबूत कदम नहीं उठाता.
इसके अलावा, विदेश मंत्रालय ने अमेरिका में लॉबिंग फर्मों को नियुक्त करने के सवाल पर स्थिति स्पष्ट की. प्रवक्ता ने बताया कि यह कोई नई प्रथा नहीं है, बल्कि 1950 के दशक से विभिन्न सरकारों के तहत यह प्रक्रिया चली आ रही है. भारतीय दूतावास ने समय-समय पर जरूरत के अनुसार ऐसी फर्मों को नियुक्त किया है, और यह जानकारी सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है. विशेष रूप से 2007 के परमाणु समझौते के समय और उसके बाद ऐसी फर्मों की सेवाएं ली गई थीं. उन्होंने कहा, ‘1949 से लेकर अब तक कई फर्मों, जैसे रोसेन एंड फ्रेड, शैलर बटलर एसोसिएट्स, और बीजीआर गवर्नमेंट अफेयर्स एलएलसी आदि को नियुक्त किया गया. यह प्रथा वाशिंगटन डीसी और अमेरिका के अन्य हिस्सों में दूतावासों और संगठनों के बीच आम है.’
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