
मुंबई। महाराष्ट्र (Maharashtra) की सियासत में इन दिनों चर्चा है कि शिवसेना-यूबीटी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे (Raj Thackeray) साथ आ सकते हैं। दोनों चचेरे भाइयों (Cousins) के बीच खाई को पाटने के लिए अब परिवार के करीबी रिश्तेदारों ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, ठाकरे परिवार के करीबी रिश्तेदार और पारिवारिक दोस्त दोनों नेताओं से बातचीत कर रहे हैं, ताकि ये दोनों भाई सीधे एक दूसरे से फोन पर या मिलकर बातचीत करें।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच कई सालों से सीधा संवाद बंद है। उनके बीच की दूरी ने महाराष्ट्र की राजनीतिक बिसात पर कई समीकरण बदले हैं और अब उनके साथ आने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच राजनीतिक मतभेद मुख्य रूप से शिवसेना में उत्तराधिकार और वर्चस्व की लड़ाई के कारण पैदा हुए। राज ठाकरे को शुरुआत में शिवसेना में बाल ठाकरे के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता था, क्योंकि वे भाषण शैली में अपने चाचा के समान थे। हालांकि, 2003 में बाल ठाकरे ने अपने बेटे उद्धव ठाकरे को शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष घोषित किया।
बाल ठाकरे के इस फैसले से राज ठाकरे और उनके समर्थकों को बड़ा झटका लगा, जिससे उन्होंने महसूस किया कि उन्हें पार्टी में दरकिनार किया जा रहा है। राज ठाकरे ने दावा किया कि उन्होंने सम्मान मांगा था, लेकिन अपमान मिला। इसके बाद 2005 में राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ दी और 2006 में अपनी खुद की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया। तब से दोनों भाइयों के राजनीतिक रास्ते अलग हो गए।
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