
नई दिल्ली। सरकार (Goverment) के नए श्रम कानूनों (Labor Laws) से भारत में रोजगार (Employment) और औपचारिकता को बढ़ावा मिल सकता है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। नए लेबर कोड से बेरोजगारी में 1.3 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। इससे 77 लाख लोगों के लिए अतिरिक्त रोजगार सृजन होगा। यह आकलन 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों की वर्तमान श्रम बल भागीदारी दर 60.1 प्रतिशत व ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में औसत कार्यशील आयु वर्ग की जनसंख्या 70.7 प्रतिशत पर आधारित है।
रिपोर्ट के अनुसार, नए लेबर कोड्स के कार्यान्वयन से श्रम बल में औपचारिकता की हिस्सेदारी कम से कम 15 प्रतिशत बढ़ जाएगी। इससे कुल औपचारिक श्रमिकों की हिस्सेदारी वर्तमान अनुमानित हिस्सेदारी 60.4 प्रतिशत से बढ़कर 75.5 प्रतिशत हो जाएगी, जैसा कि पीएलएफएस डेटा में बताया गया है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सामाजिक क्षेत्र का कवरेज 85 प्रतिशत तक बढ़ सकता है, जिससे देश का श्रम पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होगा। इसमें आगे कहा गया है कि लगभग 30 प्रतिशत की बचत दर के साथ, सुधारों के कार्यान्वयन के बाद प्रति व्यक्ति प्रति दिन लगभग 66 रुपये की खपत में वृद्धि हो सकती है। इससे मध्यम अवधि में कुल खपत में 75,000 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी, जिससे घरेलू खर्च और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
एसबीआई ने बताया कि भारत में लगभग 44 करोड़ लोग वर्तमान में असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं, जिनमें से लगभग 31 करोड़ श्रमिक ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत हैं। यह मानते हुए कि इनमें से 20 प्रतिशत श्रमिक अनौपचारिक वेतन-सूची से औपचारिक वेतन-सूची में चले जाते हैं, तो लगभग 10 करोड़ व्यक्तियों को बेहतर नौकरी सुरक्षा, सामाजिक संरक्षण और औपचारिक रोजगार लाभों का प्रत्यक्ष लाभ मिल सकता है। इस परिवर्तन के साथ, अगले दो से तीन वर्षों में भारत का सामाजिक सुरक्षा कवरेज 80-85 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है।
रिपोर्ट ने यह भी जोर देकर कहा कि चारों लेबर कोड लागू होने से मजदूरों और उद्योगों दोनों को मजबूत आधार मिलेगा। नए कोड एक ऐसी कार्यशक्ति तैयार करने में मदद करेंगे जो सुरक्षित भी होगी, ज्यादा उत्पादक भी, और बदलती कामकाजी दुनिया की जरूरतों के अनुरूप भी। 21 नवंबर 2025 को लागू होने वाले इन सुधारों के तहत श्रम विनियमों को सरल बनाने और कार्यस्थल प्रशासन में सुधार के लिए 29 मौजूदा श्रम कानूनों को चार व्यापक संहिताओं में विलय कर दिया गया। चार संहिताओं में वेतन संहिता, 2019; सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020; व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2020; और औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 शामिल हैं।
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