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Research: दुनिया में हर साल बिजली गिरने की वजह से जलकर नष्ट हो जाते हैं 32 करोड़ पेड़

July 25, 2025

म्यूनिख। जंगल केवल इंसानी गतिविधियों या आग की वजह से ही नहीं, बल्कि कुदरत की ताकतवर मार से भी तेजी से खत्म हो रहे हैं। म्यूनिख की टेक्निकल यूनिवर्सिटी (Technical University of Munich) के वैज्ञानिकों (Scientists) की नई स्टडी (New study) में खुलासा हुआ है कि हर साल दुनियाभर में करीब 32 करोड़ पेड़ सिर्फ बिजली गिरने की वजह से नष्ट हो जाते हैं। यह आंकड़ा उन पेड़ों को छोड़कर है, जो बिजली से लगी आग में जलकर नष्ट हो जाते हैं। यह रिसर्च बताता है कि बिजली का यह खामोश हमला ग्लोबल वॉर्मिंग (Global warming), कार्बन उत्सर्जन और जंगलों की सेहत पर कहीं अधिक असर डाल रहा है, जितना अब तक समझा गया था।


पहली बार इस तरह की रिसर्च
इस तरह का शोध पहली बार हुआ है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने एक वैश्विक मॉडल तैयार किया, जिसमें उन्होंने बिजली गिरने के आंकड़ों को वनस्पति मॉडल से जोड़ा। इससे उन्हें यह पता लगाने में मदद मिली कि कौन-से क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं, कितने पेड़ मरते हैं और इसका पर्यावरण और जलवायु पर क्या असर पड़ रहा है।

रिसर्च के प्रमुख लेखक एंड्रियास क्राउस ने बताया, “हम अब न सिर्फ यह जान पा रहे हैं कि हर साल कितने पेड़ बिजली से मरते हैं, बल्कि यह भी समझ पा रहे हैं कि ये घटनाएं किन क्षेत्रों में ज्यादा होती हैं और इनका कार्बन भंडारण व जंगलों की संरचना पर क्या असर होता है।”

पर्यावरण और जलवायु पर गंभीर असर
बिजली से मारे गए पेड़ों की वजह से हर साल 0.77 से 1.09 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) वातावरण में पहुंच रही है, क्योंकि ये पेड़ सड़ने लगते हैं। यह आंकड़ा उतना ही चिंताजनक है जितना कि जिंदा पेड़ों के जलने से निकलने वाला CO₂ (1.26 अरब टन)। हालांकि यह अब भी कुल जंगल की आग से निकलने वाले 5.85 अरब टन CO₂ से कम है, जिसमें मरा हुआ लकड़ी और मिट्टी भी शामिल होती है।

भविष्य में खतरा
जलवायु परिवर्तन के चलते वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले दशकों में बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ेंगी, खासकर मध्यम और ऊंचे अक्षांशों वाले क्षेत्रों में। इससे पहले बिजली से सबसे ज्यादा नुकसान उष्णकटिबंधीय जंगलों को होता था, लेकिन अब समशीतोष्ण और बोरियल जंगलों में भी इसके प्रभाव बढ़ सकते हैं। क्राउस ने कहा, “अधिकतर जलवायु मॉडल आने वाले समय में बिजली गिरने की घटनाओं में इजाफा दिखा रहे हैं, इसलिए हमें इस मुद्दे को गंभीरता से लेना होगा।”

क्या है समाधान?
इस अध्ययन के ज़रिए वैज्ञानिकों ने ज़ोर दिया है कि वन संरक्षण, जलवायु मॉडलिंग और कार्बन प्रबंधन में बिजली से होने वाले नुकसान को भी शामिल करना जरूरी है, ताकि हम बेहतर रणनीति बना सकें और जंगलों की सुरक्षा को लेकर अधिक सतर्क हो सकें। यह रिपोर्ट बताती है कि बिजली गिरना अब केवल एक प्राकृतिक घटना नहीं, बल्कि जंगलों और पृथ्वी के पर्यावरण तंत्र के लिए एक गंभीर संकट बनता जा रहा है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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