
नई दिल्ली। भारत (India) की खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) मई महीने में घटकर 3.0% तक पहुंच सकती है, जो अप्रैल के 3.2% से कम है। अगर यह अनुमान सही साबित हुआ तो खुदरा महंगाई (Retail Inflation) पिछले छह वर्षों के सबसे निचले पर ( Lowest in six years) पहुंच जाएगी। मिंट के सर्वे में यह अनुमान जताया गया है। खुदरा मुद्रास्फीति के आधिकारिक आंकड़े गुरुवार को जारी होंगे। भारत में खुदरा महंगाई दर अप्रैल 2025 में घटकर 3.16% रह गई, जो जुलाई 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है। मार्च में यह 3.34% थी। यह आंकड़ा आरबीआई के 4% (±2%) लक्ष्य से भी कम है और लगातार तीसरे महीने ऐसा हुआ है।
खाने-पीने की चीजें सस्ती हुईं: सब्जियों, फलों, दालों और प्रोटीन वाले सामान की कीमतें घटीं। खाद्य महंगाई दर अप्रैल में 1.78% रही, जो पिछले साल इसी महीने 8.7% थी। गर्मी के बावजूद रबी की फसल अच्छी हुई। इस साल मानसून भी बेहतर रहने का अनुमान है।
मिंट के सर्वे में शामिल 15 अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, चूंकि खाद्य पदार्थ महंगाई की गणना में 40% हिस्सा रखते हैं, इसलिए इनकी कीमतों में बदलाव का असर सीधे महंगाई दर पर पड़ता है। वहीं, सर्वे में यह भी कहा गया है कि समग्र महंगाई दर के लगातार चौथे महीने 4% से नीचे रहने के बावजूद कोर मुद्रास्फीति (जो खाद्य, ईंधन और बिजली को छोड़कर गणना की जाती है) अप्रैल के 4.13% से थोड़ी बढ़ सकती है। फिर भी, अर्थशास्त्री इसे महंगाई के लिए बड़ा खतरा नहीं मानते।
आगे ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश कम
महंगाई में तेज गिरावट को देखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले सप्ताह रेपो रेट में .50 प्रतिशत की कटौती की थी, जबकि विशेषज्ञों को केवल .25 फीसदी की कटौती की उम्मीद थी। आरबीआई ने यह भी संकेत दिया है कि साल के अंत तक महंगाई चार फीसदी से नीचे रहेगी लेकिन ब्याज दरों में और कटौती की गुंजाइश कम है। मौद्रिक नीति समिति ने कहा है कि फरवरी 2025 से लगातार रेपो दर में एक फीसदी की कटौती के बाद और राहत की गुंजाइश सीमित है।
भविष्य का अनुमान
आरबीआई को उम्मीद है कि 2025-26 में महंगाई दर औसतन 4% रहेगी, जो तिमाही के हिसाब से कुछ इस तरह रह सकती है…
– अप्रैल-जून (पहली तिमाही): 3.6%
– जुलाई-सितंबर (दूसरी तिमाही): 3.9%
– अक्टूबर-दिसंबर (तीसरी तिमाही): 3.8%
– जनवरी-मार्च (चौथी तिमाही): 4.4%
आरबीआई सतर्क
आरबीआई का कहना है कि भविष्य में सामान्य से बेहतर मानसून और इसके जल्दी आने की संभावना खरीफ फसल की संभावनाओं के लिए अच्छे संकेत है। रबी फसल के मौसम में रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन और प्रमुख दालों के उच्च उत्पादन से प्रमुख खाद्य वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित होनी चाहिए। अनुकूल पूर्वानुमान के बावजूद, वह मौसम संबंधी अनिश्चितताओं और वैश्विक स्तर पर जिंस की कीमतों पर पड़ने वाले प्रभाव के साथ शुल्क संबंधी चिंताओं को लेकर सतर्क रहेगा।
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