
पटना । राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव (RJD chief Lalu Prasad Yadav) ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप (His elder son Tej Pratap) को पार्टी और परिवार से (From the Party and Family) 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया (Expelled for 6 years) ।
यह फैसला राजनीतिक हलकों में गहरी चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि इसे लालू परिवार के भीतर बढ़ती कलह और पार्टी की आंतरिक संरचना पर इसके संभावित प्रभावों के रूप में देखा जा रहा है। लालू प्रसाद यादव ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से इस फैसले की घोषणा की। उन्होंने लिखा, “निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमज़ोर करता है। ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। अतएव उपरोक्त परिस्थितियों के चलते उसे पार्टी और परिवार से दूर करता हूं। अब से पार्टी और परिवार में उसकी किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नहीं रहेगी। उसे पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया जाता है।”

यह निष्कासन तेज प्रताप यादव के हालिया बयानों और पार्टी कार्यक्रमों में उनके अनियमित व्यवहार के बाद आया है, जिसे अक्सर पार्टी नेतृत्व के लिए असहज स्थिति पैदा करने वाला माना जाता रहा है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब राजद बिहार में अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने और आगामी चुनावों के लिए रणनीति बनाने में लगी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लालू यादव का यह कदम परिवार के भीतर अनुशासन बनाए रखने और पार्टी की छवि को धूमिल होने से बचाने का प्रयास है।
यह फैसला दिखाता है कि लालू प्रसाद, भले ही स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय राजनीति से कुछ हद तक दूर हों, लेकिन पार्टी और परिवार पर उनका नियंत्रण अभी भी बरकरार है। इस निष्कासन से राजद के भीतर शक्ति संतुलन और तेजस्वी यादव की स्थिति पर भी असर पड़ सकता है, जिन्हें लालू का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाता है। आने वाले दिनों में बिहार की राजनीतिक परिदृश्य में इस फैसले के दूरगामी परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
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