नई दिल्ली। ओडिशा के बहुचर्चित ग्रामीण आवास घोटाले (Rural housing scam) में पूर्व आईएएस (IAS) अधिकारी और ओडिशा रूरल हाउसिंग डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (ओआरएचडीसी) के पूर्व प्रबंध निदेशक विनोद कुमार (Vinod Kumar) को फिर दोषी ठहराया गया है। भुवनेश्वर की विशेष सतर्कता अदालत ने शुक्रवार को उन्हें और पांच अन्य आरोपियों को इस मामले में दोषी करार दिया। विजिलेंस विभाग के अनुसार यह विनोद कुमार की इस घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार मामलों में 12वीं सजा है। उनके खिलाफ अभी भी 15 अन्य विजिलेंस मामले लंबित हैं। अदालत ने सभी छह दोषियों को तीन-तीन वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
अदालत ने पाया कि आरोपियों ने ग्रामीण गरीबों के लिए बनी आवास योजनाओं के लिए जारी 52.95 लाख रुपये की सरकारी राशि का दुरुपयोग किया। आरोप है कि अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए निजी बिल्डर संग्राम केशरी साहू को फायदा पहुंचाने के लिए फर्जी और जाली दस्तावेज तैयार किए हैं। विशेष विजिलेंस जज ने सभी आरोपियों और बिल्डर को दोषी मानते हुए सजा सुनाई।
1989 बैच के अधिकारी विनोद कुमार को 2022 में भ्रष्टाचार के आरोप में नौकरी से निकाल दिया गया था। 1999 में ORHDC के मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने सुपर साइक्लोन के बाद बड़े पैमाने पर ग्रामीण आवास योजना शुरू होने पर गलत तरीकों से 33.34 करोड़ के हाउसिंग फंड को मंजूरी दी थी। उन पर सुपर साइक्लोन के बाद घर बनाने और दोबारा बनाने की जांच किए बिना रियल एस्टेट फर्मों,ठेकेदारों और NGO को लोन देने का भी आरोप था।
2018 में, स्पेशल विजिलेंस कोर्ट ने कुमार को ORHDC में वित्तीय गड़बड़ियों के लिए दोषी ठहराया था और उन्हें तीन साल जेल की सजा सुनाई थी। राज्य सरकार ने कुमार के खिलाफ 27 विजिलेंस केस दर्ज किए थे, जिनमें से उन्हें 12 मामलों में दोषी ठहराया गया है।
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