नई दिल्ली (New Delhi)। यूक्रेन युद्ध (Ukraine War) के शुरू होने के एक साल बाद भी उसके खत्म होने के कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं। यूक्रेन (Ukraine) पर रूसी आक्रमण (russian invasion) के एक साल पूरे हो गए हैं, हालांकि अभी तक यह लड़ाई किसी निर्णायक मोड़ पर नहीं पहुंची है। रूस इस युद्ध से इज्जत के साथ लौटना चाहता है, हालांकि उसके लिए अब यह मुश्किल साबित हो रही है।
बाइडेन को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के द्वारा भी जवाब देने की तैयारी थी। ऐसी अटकलें थीं कि रूसी राष्ट्रपति एक बड़े हमले की घोषणा कर सकते हैं, हालांकि, ऐसा कुछ नहीं हुआ। पुतिन ने अपने संबोधन में यूक्रेन की स्थिति के लिए पश्चिमी देशों को जिम्मेदार ठहराया। पुतिन ने रूस के आक्रमण को सही ठहराते हुए कहा कि रूस पर युद्ध थोपा गया। उन्होंने अपने कदम पीछे खींचने का भी संकेत देते हुए बातचीत की अपील की। रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि यूक्रेन पश्चिमी देशों का बंधक बन गया है।
वहीं, यूक्रेन लगातार कह रहा है कि वह हर हमले का जवाब देने के लिए तैयार है। इस लड़ाई में वह कभी सरेंडर नहीं करेगा। ऐसे में लड़ाई लंबी खिचने की संभावना है। दुविधा यहीं पर है। सवाल आखिर यह है कि रूस को यूक्रेन युद्ध से सम्मानजनक वापसी की तलाश करनी चाहिए या इस लड़ाी को आगे बढ़ाना चाहिए?
पुतिन इस लड़ाई से एक सम्मानजनक वापसी चाहते हैं, लेकिन इसके आसार नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने ही 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर सैन्य आक्रमण की घोषणा की थी। यह सिलसिला अभी भी जारी है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह स्पष्ट है कि यह युद्ध जल्द समाप्त नहीं हो रहा है। डोनबास क्षेत्र में लंबी लड़ाई जारी है।
यूक्रेन के इरादे भी साफ हैं। यूक्रेन चाहता है कि पश्चिमी देश उसे अधिक सैन्य सहायता प्रदान करें। यूक्रेन अमेरिकी F-16 लड़ाकू जेट भी चाहत रखता है। बाइडेन प्रशासन लगातार यूक्रेन को हर तरीके से मदद कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता वाले लड़ाकू विमान युद्ध को और बढ़ा सकते हैं।
अमेरिका पहले ही 100 अरब डॉलर से अधिक मूल्य की सैन्य सहायता दे चुका है। यह ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यूक्रेन इस सहायता के बिना इतने लंबे समय तक रूस के सामने नहीं टिक पाता। पश्चिमी देशों द्वारा लगातार मिल रही सहायता के कारण यह लड़ाई लंबी खिच रही है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved