
लंदन। ब्रिटेन के एक अध्ययन के अनुसार रूस (Russia) के ‘साइबर सैनिकों’ (cyber soldiers) ने दूसरे देशों के नेताओं के खिलाफ नया अभियान छेड़ा है और यूक्रेन (ukraine) पर अपने हमले को जायज ठहराने के लिए वे बड़े स्तर पर दुष्प्रचार के लिए सोशल मीडिया मंचों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ब्रिटेन के विदेश कार्यालय ने रविवार को कहा कि सेंट पीटर्सबर्ग (St. Petersburg) के एक कारखाने में काम करने वाले लोग टेलीग्राम मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल अपने समर्थकों की भर्ती और उनसे तालमेल के लिए करते हैं तथा फिर ये लोग रूस के आलोचकों के सोशल मीडिया खातों पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) तथा यूक्रेन में युद्ध के समर्थन में पोस्ट करते हैं. इन लोगों को इसका भुगतान किया जाता है।
विदेश कार्यालय के अनुसार तथाकथित ‘ट्रोल फैक्टरी’ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पहचाने जाने से बचने की नई तकनीक विकसित की हैं. टेलीग्राम, ट्विटर, फेसबुक और टिकटॉक समेत आठ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस तरह की गतिविधियां की जा रही हैं. इसने कहा कि इस अभियान में ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और भारत समेत कई देशों के नेताओं और बड़ी संख्या में लोगों को निशाना बनाया गया है।
इस बीच, ‘एसोसिएटेड प्रेस’ द्वारा विश्लेषित की गई सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि यूक्रेन के संदिग्ध हमलों के बाद रूस में यूक्रेन की सीमा के पार तेल डिपो को नुकसान पहुंचा है. शनिवार की तस्वीरें ब्रांस्क में दो साइटों पर हुए नुकसान को स्पष्ट कर रही हैं. सोमवार को किए गए विस्फोट ने कई टैंकों को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिससे आसपास का मैदान जल गया।
विस्फोट ने एक रूसी राज्य-नियंत्रित कंपनी ट्रांसनेफ्ट की सहायक कंपनी ट्रांसनेफ्ट-ड्रुज़बा के स्वामित्व वाले एक तेल डिपो को जला दिया, जो यूरोप में कच्चे तेल को ले जाने वाली ड्रूज़बा (मैत्री) पाइपलाइन का संचालन करती है. ब्रांस्क यूक्रेन के साथ सीमा से लगभग 100 किलोमीटर उत्तर में स्थित है।
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