
नई दिल्ली. 30 जुलाई 2025 को रूस (Russia) के दूरदराज के इलाके कामचटका प्रायद्वीप (Kamchatka Peninsula) में 8.8 तीव्रता का जबरदस्त भूकंप (earthquake) आया. यह भूकंप इतना ताकतवर था कि इसे इतिहास के छठे सबसे बड़े भूकंपों में गिना जा रहा है. यह भूकंप अवाचा बे से महज 120 km की दूरी पर आया, जहां रूस की नौसेना का एक अहम परमाणु पनडुब्बी बेस (nuclear submarine base) है. इस घटना ने रूस के परमाणु हथियारों और पनडुब्बियों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या हुआ और कहां हुआ?
यह भूकंप कामचटका प्रायद्वीप के पूर्वी तट से करीब 135 km दूर समुद्र में आया, जो रूस का एक सुनसान लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इलाका है. अवाचा बे में रूस की नौसेना का रायबाची पनडुब्बी बेस है. जहां बोरे और बोरे-ए जैसी आधुनिक परमाणु पनडुब्बियां तैनात हैं.
ये पनडुब्बियां रूस की सैन्य ताकत का अहम हिस्सा हैं, जो परमाणु मिसाइलें ले जाने में सक्षम हैं. इसके अलावा, डेल्टा III-क्लास की पुरानी पनडुब्बी रयाजान (K-44) भी यहां मौजूद है, हालांकि उसकी हालत साफ नहीं है.
भूकंप के बाद सुनामी की चेतावनी कई देशों जैसे जापान, चिली, पेरू और अमेरिका तक जारी की गई. हवाई में 5 फीट से ज्यादा ऊंची लहरें आईं, जिससे वहां के लोग डर गए. रूस के अधिकारियों का कहना है कि अभी तक कोई बड़ी हानि या मौत की खबर नहीं है, लेकिन सैन्य विशेषज्ञों को शक है कि पनडुब्बी बेस को नुकसान हो सकता है.
भूकंप का असर क्या हो सकता है?
भूकंप की तीव्रता 8.8 थी, जो 2011 के जापान के 9.1 तीव्रता वाले भूकंप के बाद सबसे बड़ा है. यह भूकंप इतना जोरदार था कि कामचटका में सड़कें टूट गईं, इमारतें ढह गईं और पेट्रोपावलोव्स्क-कामचत्स्की शहर में एक किंडरगार्टन गिर गया. कई लोग घायल हुए, जिनमें से एक महिला हवाई अड्डे के टर्मिनल में चोटिल हुई.
क्षेत्रीय स्वास्थ्य मंत्री ओलेग मेलनिकोव ने बताया कि लोग दहशत में बाहर भागे और एक ने खिड़की से कूदकर चोट लगाई. अवाचा बेस पर पनडुब्बियों की हालत साफ नहीं है, क्योंकि बादल छाए होने की वजह से सैटेलाइट तस्वीरें साफ नहीं दिख रही हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सुनामी की लहरें पनडुब्बियों के मूरिंग (बांधने की जगह) को नुकसान पहुंचाती हैं या खुली खिड़कियों से पानी घुसता है, तो यह गंभीर समस्या बन सकता है. खासकर अगर पनडुब्बियां मरम्मत के लिए खुली हों, तो खतरा और बढ़ जाता है.
परमाणु पनडुब्बियां और उनका महत्व
रायबाची बेस पर बोरे और बोरे-ए जैसी पनडुब्बियां हैं, जो परमाणु मिसाइलें ले जाने में सक्षम हैं. इसके अलावा यासेन-एम और ऑस्कर-क्लास जैसी मिसाइल पनडुब्बियां भी हैं, जो सामान्य हथियारों से लैस हैं लेकिन बहुत खतरनाक हैं. एक और पनडुब्बी K-329 बेल्गोरोड, जो दुनिया की सबसे लंबी पनडुब्बी है, शायद जल्द ही इस बेस पर आएगी. यह पनडुब्बी परमाणु-संचालित पोसाइडन टॉरपीडो ले सकती है. जासूसी मिशन भी कर सकती है.
इन पनडुब्बियों की सुरक्षा बहुत जरूरी है, क्योंकि अगर इनमें कोई खराबी आती है, तो रेडियेशन लीक या मिसाइल लॉन्च जैसी गंभीर घटनाएं हो सकती हैं. एक सेवानिवृत्त रूसी नौसैनिक अधिकारी @Capt_Navy ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि बेस को गंभीर नुकसान हुआ है। ये बेस दुश्मन के परमाणु हमले को झेलने के लिए बनाए गए हैं. लेकिन विशेषज्ञ इस दावे पर भरोसा नहीं कर रहे और सच्चाई जानने की कोशिश कर रहे हैं.
ज्वालामुखी और सुनामी का खतरा
भूकंप के बाद कामचटका का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी क्लूचेव्स्काया सोपका फट गया, जो क्षेत्र की अस्थिरता को और बढ़ा रहा है. यह इलाका “पैसिफिक रिंग ऑफ फायर” का हिस्सा है, जहां भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियां आम हैं. सुनामी की लहरें कई देशों तक पहुंचीं. जापान ने करीब 20 लाख लोगों को तटीय इलाकों से हटाया. अमेरिका ने कैलिफोर्निया से ओरेगन तक चेतावनी जारी की.
हालांकि रूस ने अब सुनामी का तत्काल खतरा खत्म बताया है, लेकिन आफ्टरशॉक्स का डर बना हुआ है. ब्रिटिश विदेश कार्यालय ने अपने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है और कहा है कि स्थानीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन करें.
क्या सच में नुकसान हुआ?
अभी तक कोई पक्की खबर नहीं है कि पनडुब्बी बेस को नुकसान हुआ या नहीं. रूसी अधिकारी कह रहे हैं कि सब कुछ नियंत्रण में है, लेकिन सोशल मीडिया पर वीडियो दिख रहे हैं, जिसमें सड़कों के टूटने और इमारतों के गिरने की तस्वीरें हैं. सैन्य विशेषज्ञ सैटेलाइट तस्वीरों का विश्लेषण कर रहे हैं, लेकिन बादल की वजह से यह मुश्किल हो रहा है. अगर पनडुब्बियों को नुकसान हुआ, तो यह रूस की सैन्य ताकत पर असर डाल सकता है.
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