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सागर होगा देश का पहला टाइगर रिजर्व जहां बाघ, तेंदुआ और चीते रहेंगे एक साथ; WII का बड़ा ऐलान

May 18, 2025

सागर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सागर जिले (Sagar District) में स्थित वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व (Veerangana Rani Durgavati Tiger Reserve) में बहुत जल्द चीते (Cheetahs) की बसाहट की 15 साल पुरानी संकल्पना साकार होने वाली है. दरअसल, भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India) देहरादून ने चीते की बसाहट के लिए दो नए स्थान चिन्हित किए हैं. उनमें गुजरात के बन्नी ग्रासलैंड रिजर्व के अलावा सागर के टाइगर रिजर्व को शामिल किया गया है.

डब्ल्यूआईआई भारत में चीता प्रोजेक्ट की नोडल एजेंसी भी है. माना जा रहा है कि अगले वर्ष तक यहां चीतों की शिफ्टिंग हो जाएगी. अगर ऐसा होता है तो वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व देश का पहला ऐसा वाइल्डलाइफ एरिया होगा, जहां बिग केट फैमिली के तीन सदस्य एक साथ देखने मिलेंगे. अभी रिजर्व में टाइगर और तेंदुए की बसाहट है.

सागर टाइगर रिजर्व में चीतों के आने से इस परिवार की तीन प्रजातियां हो जाएंगी. बता दें कि देश में चीतों की बसाहट के लिए डब्ल्यूआईआई ने देश में सबसे पहले सागर के इस टाइगर रिजर्व को चिन्हित किया था. वर्ष 2010 में यहां सर्वे किया गया था, जिसमें रिजर्व की तीन रेंज मुहली, सिंहपुर और झापन को चीता की बसाहट के अनुकूल माना गया था.


राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के डीआईजी डॉ. वीबी माथुर और डब्ल्यूआईआई के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी के साथ वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व की उक्त तीनों रेंज मुहली, झापन और सिंहपुर का दो दिन तक मैदानी मुआयना किया. जानकारों के अनुसार यह तीनों रेंज चीता की बसाहट के लिए आदर्श स्थान हैं. यहां लंबे-लंबे मैदान हैं. जिनमें यह जीव दौड़-दौड़कर शिकार कर सकेगा. इन तीनों रेंज का क्षेत्रफल करीब 600 वर्ग किलोमीटर है. जबकि सागर रिजर्व का संपूर्ण क्षेत्रफल 2339 किलोमीटर है.

देश-दुनिया के लिए पहला प्रयोग होगा, जिसके तहत चीता-टाइगर और तेंदुए एक साथ रहेंगे. टाइगर रिजर्व सागर मुख्य रूप से बालों का बसेरा बन चुका है. ऐसे में वन्य जीव विशेषज्ञों द्वारा अक्सर यह सवाल उठाया जाता रहा है कि टाइगर की बसाहट के बाद क्या यहां चीता को लाया जा सकता है. क्या वे यहां जीवित रह पाएंगे. इसके जवाब में दूसरे वन्य जीव शास्त्रियों का कहना है कि यह संभव है. क्योंकि चीता, तेंदुआ और बाघ के शिकार का तरीका और उनके टारगेट जीव-जंतु अलग-अलग होते हैं.

बाघ नीलगाय, भैंसा और हिरण प्रजाति के छोटे-बड़े जानवर का शिकार करता है. वहीं तेंदुए मध्यम श्रेणी के जानवर जैसे जंगली सुअर, हिरण, नीलगाय, भैंसा के बच्चों का शिकार करता है. जबकि चीता छोटी साइज के हिरण जैसे चीतल, काला हिरण और खरगोश सरीखे जानवरों का शिकार करता है. अब रही इन तीनों जानवरों के आमने-सामने आने की बात तो चीता, सदैव बाघ व तेंदुए से दूरी बनाए रखता है. यह ठीक उसी तरह से संभव है, जिस तरह से बाघ के साथ तेंदुए भी सर्वाइव कर लेते हैं.

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