
चंडीगढ़ । भाजपा शासित हरियाणा (Haryana) की नायब सिंह सैनी सरकार (Nayab Singh Saini Government) ने भाजपा के राज्यसभा सांसद सुभाष बराला (Subhash Barala) के बेटे विकास बराला (Vikas Barala) को करारा झटका दिया है। सरकार ने उन्हें नियुक्ति के 10 दिन बाद ही राज्य के सहायक महाधिवक्ता ( Assistant Advocate General) पद से हटा दिया है। दरअसल, विकास बराला पर यौन उत्पीड़न के केस थे, इसलिए उनकी नियुक्ति के बाद से ही यह मामला विवादों में घिर गया था।
बता दें कि 18 जुलाई को राज्य का गवर्नर बंडारू दत्तात्रेय ने 97 नए कानून अधिकारियों की नियुक्ति को मंजूरी दी थी। उस सूची में विकास बराला का भी नाम था। उन्हें असिस्टेंट एडवोकेट जनरल (AAG) बनाया गया था लेकिन उनकी नियुक्ति के बाद से ही यह मामला विवादों में घिर गया था। विपक्ष लगातार सैनी सरकार पर हमलावर थी और यौन उत्पीड़ने के आरोपी को विधि अधिकारी बनाने पर घेर रही थी।
45 आईएएस अफसरों ने CM को लिखी थी चिट्ठी
दरअसल, विकास एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS)अधिकारी की बेटी का पीछा करने के आरोपी हैं। यह मामला अक्टूबर 2017 का है, जब उनके पिता भाजपा की हरियाणा इकाई के प्रमुख थे। विकास और उनके दोस्त आशीष कुमार पर चंडीगढ़ की एक अदालत ने एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की बेटी का पीछा करने और उसके अपहरण का प्रयास करने का आरोप लगाया था। विकास बराला इस मामले में जमानत पर बाहर हैं और मुकदमा अभी कोर्ट में लंबित है। आईएएस अफसर की पीड़ित बेटी वर्णिका कुंडू ने विकास बराला को एएजी बनाए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई थी। यही नहीं, 45 आईएएस अफसरों ने भी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को चिट्ठी लिखकर इस नियुक्ति को रद्द करने की मांग की थी। विवाद बढ़ने पर सरकार ने विकास बराला को हटाने का फैसला लिया।
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे नारों के विपरीत
पूर्व आईएएस अधिकारी वीएस कुंडू की बेटी वर्णिका कुंडू ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए थे। उन्होंने सोशल मीडिया पर लम्बी पोस्ट डालकर सरकार के इस फैसले की आलोचना की थी। उन्होंने लिखा था कि यह निर्णय सरकार के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे नारों के विपरीत है और इससे गलत संदेश जाता है। पोस्ट में उन्होंने कहा कि किसी को सार्वजनिक पद पर नियुक्त करना केवल एक राजनीतिक फैसला नहीं होता, बल्कि यह समाज के मूल्यों और नैतिक मानकों को भी दर्शाता है। उन्होंने उन अधिकारियों पर सवाल उठाया, जिन्होंने यह निर्णय लिया।
न्यायपालिका पर भरोसा, लेकिन हिम्मत कमजोर पड़ी
वर्णिका कुंडू ने आगे पोस्ट में लिखा कि वह जिस मामले पर बात कर रही हैं, वह उनका खुद का है, जो महीनों तक राष्ट्रीय मीडिया में छाया रहा, लेकिन कोई ठोस प्रगति नहीं हुई। पांच साल बाद भी मामला वहीं अटका है। फैसला आने तक न्यायपालिका पर उनका भरोसा है, लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि समय के साथ उनका विश्वास डगमगाया है। अब भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया है।
2017 में घर लौटते समय किया था पीछा
यह मामला 2017 का है, जब विकास बराला के पिता सुभाष बराला हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। 4 अगस्त 2017 की रात चंडीगढ़ में आईएएस अधिकारी वीएस कुंडू की बेटी वर्णिका कुंडू अपनी कार में घर लौट रही थी, तभी विकास बराला और उसके दोस्त आशीष कुमार ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया। पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि रात करीब 12:15 बजे जब वह अपनी कार में जा रही थी, तो एक टाटा सफारी उसका पीछा कर रही थी। जब उसने रास्ता बदलने की कोशिश की तो आरोपियों ने उसकी गाड़ी को रोक दिया और उसे एक खास दिशा में जाने के लिए मजबूर किया। पीड़िता ने जान बचाने के लिए अपनी कार को रिवर्स किया और तेजी से भगाई। इस दौरान उसने 100 नंबर पर पुलिस को सूचना दी और अपने पिता को भी मामले की जानकारी दी।
फिलहाल जमानत पर बाहर हैं विकास बराला
विकास बराला और आशीष कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। बाद में मामला बढ़ने पर उन पर लड़की का पीछा करने, जबरन रास्ता रोकने और छेड़छाड़ जैसी गंभीर धाराएं भी लगाई गईं। आरोपियों के खिलाफ 354डी (पीछा करना), 341 (गलत तरीके से रोकना) और 365 (511 (अपहरण का प्रयास) के साथ पढ़ा जाए) समेत भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए गए थे। उन्हें चार-पांच अगस्त 2017 की रात को गिरफ्तार किए जाने के बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया। बाद में उन्हें नौ अगस्त 2017 को फिर से गिरफ्तार किया गया लेकिन जनवरी 2018 में उन्हें उच्च न्यायालय से पुन: जमानत मिल गई।
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