
नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी (AAP) नेता सत्येंद्र जैन (Satyendra Jain) ने भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज (BJP MP Bansuri Swaraj) के खिलाफ उनकी शिकायत पर संज्ञान लेने से इनकार करने वाले ट्रायल कोर्ट (Trial Court) के आदेश के खिलाफ रिव्यू याचिका दायर की है। राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) की सत्र अदालत ने मामले को 12 मार्च को विचार के लिए सूचीबद्ध किया है। सत्र अदालत ने ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड तलब किए हैं। इससे पहले, जैन ने ईडी की छापेमारी के संबंध में उनके खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक बयान देने के लिए स्वराज के खिलाफ मानहानि की शिकायत दायर की थी। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने शिकायत पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था।
दिल्ली की अदालत ने खारिज की बांसुरी स्वराज के खिलाफ मानहानि की शिकायत
दिल्ली की एक अदालत ने बीते माह 20 फरवरी को ‘आप’ नेता एवं पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन की ओर से भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज के खिलाफ दायर मानहानि की शिकायत खारिज कर दी थी।
जैन ने आरोपी व्यक्तियों यानी बांसुरी स्वराज और एक समाचार चैनल पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न धाराओं के तहत शिकायत दर्ज कराई थी। जैन ने आरोप लगाया था कि आरोपी नंबर 1 (बांसुरी स्वराज) ने उन्हें बदनाम करने और अनुचित राजनीतिक लाभ उठाने के इरादे से एक समाचार चैनल (आरोपी नंबर 2) पर 5 अक्टूबर, 2023 को प्रसारित एक इंटरव्यू में उनके खिलाफ कुछ अपमानजनक टिप्पणियां की थीं।
आगे कहा गया था कि आरोपी नंबर 1, जो पेशे से वकील हैं और नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं, उन्होंने शिकायतकर्ता के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनके घर पर मारे गए छापे और वहां से 3 करोड़ रुपये नकद, 1.8 किलोग्राम सोना और 133 सोने के सिक्के बरामद किए जाने के संदर्भ में अपमानजनक बयान दिए हैं।
जैन ने आरोप लगाया था कि बयानों का उद्देश्य उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल करना और अनुचित राजनीतिक लाभ प्राप्त करना था। उन्होंने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता (वह स्वयं) एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं, जो दिल्ली के शकूर बस्ती से तीन बार विधायक रह चुके हैं और जीएनसीटीडी में कई मंत्रालयों या विभागों को संभाल चुके हैं, जिसमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, उद्योग, गृह, जल, शहरी विकास और सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग शामिल हैं।
मामले की सुनवाई के बाद अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) नेहा मित्तल ने कहा, “इस अदालत का मानना है कि बीएनएस की धारा 356 के तहत दंडनीय अपराध का संज्ञान लेने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद नहीं है। शिकायत और उसके साथ संलग्न दस्तावेजों से कोई अन्य अपराध नहीं बनता है। तदनुसार, वर्तमान मामले में संज्ञान लेने से इनकार किया जाता है।”
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