
नई दिल्ली: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अपने ग्राहकों को बड़ा झटका दिया है. अब बैंक के ग्राहकों को 15 अगस्त 2025 से ऑनलाइन IMPS ट्रांसफर पर शुल्क देना पड़ेगा, जो पहले पूरी तरह फ्री था. IMPS यानी इंस्टेंट मनी पेमेंट सर्विस एक रीयल-टाइम फंड ट्रांसफर सिस्टम है, जिसकी मदद से कोई भी व्यक्ति तुरंत पैसा ट्रांसफर कर सकता है. यह सेवा पूरे 24 घंटे और 365 दिन उपलब्ध रहती है.
IMPS के जरिए एक बार में अधिकतम ₹5 लाख तक ट्रांसफर किया जा सकता है. बता दें कि SBI द्वारा किया गया बदलाव केवल ऑनलाइन लेनदेन पर लागू होगा और कुछ स्लैब में मामूली शुल्क जोड़े जाएंगे. हालांकि, कुछ खातों पर ये शुल्क अब भी नहीं लगेंगे. आइए जानते हैं बैंक द्वारा किस स्लैब पर कितना शुल्क लगाया गया है.
अगर आप इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग या UPI जैसे ऑनलाइन माध्यम से IMPS करते हैं, तो अब आपको शुल्क देना होगा. ये चार्ज इस प्रकार हैं – ₹25,000 तक कोई शुल्क नहीं लगेगा. ₹25,001 से ₹1 लाख पर ₹2 + GST का चार्ज लगेगा. 1 लाख से 2 लाख रुपये पर ₹6 + GST का चार्ज लगेगा. वहीं 2 लाख रुपये से ₹5 लाख तक ₹10 + GST चार्ज होगा. पहले इन सभी लेनदेन पर कोई शुल्क नहीं था, लेकिन अब हर स्लैब पर थोड़ा-थोड़ा पैसा देना होगा.
SBI के उन ग्राहकों को इस शुल्क से राहत मिलेगी जो किसी सरकारी या निजी संस्थान के सैलरीड हैं और उनके पास विशेष Salary Package Account हैं. इनमें DSP, CGSP, PSP, RSP, CSP, SGSP, ICGSP, और SUSP जैसे खाते शामिल हैं, जिन पर अब भी IMPS शुल्क नहीं लगेगा. अगर आप SBI की शाखा में जाकर IMPS करवाते हैं, तो वहां पहले की तरह ही शुल्क लगेगा. इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. शाखा से किए गए IMPS ट्रांजेक्शन पर शुल्क ₹2 से शुरू होकर ₹20 + GST तक जा सकता है, जो ट्रांसफर की राशि पर निर्भर करता है.
केनरा बैंक में ₹1,000 तक कोई शुल्क नहीं है वहीं ₹1,000 से ₹5 लाख तक के लेनदेन पर ₹3 से ₹20 + GST तक चार्ज लगता है. PNB (पंजाब नेशनल बैंक) में ₹1,000 तक पर कोई चार्ज नहीं लगेगा. ₹1,001 से ऊपर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन पर ₹5 से ₹10 + GST तक का चार्ज है, जबकि ब्रांच से ट्रांजेक्शन करने पर यह चार्ज थोड़ा अधिक होता है.
IMPS चार्ज वह रकम है, जो बैंक आपसे उस सुविधा के लिए लेता है जिसमें वह आपके पैसे को तुरंत दूसरे व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर करता है. यह शुल्क आपकी ट्रांसफर की गई राशि के अनुसार अलग-अलग हो सकता है. आमतौर पर बैंक यह चार्ज डिजिटल सर्विस को मेंटेन करने, नेटवर्क खर्च, और ट्रांजेक्शन की प्रोसेसिंग के बदले लेता है.
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