
नई दिल्ली। साल 2021 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों (West Bengal Assembly elections.) के दौरान भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) का समर्थन करने पर हिंदू परिवारों पर हुए हमले को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सख्त रवैया अपना रहा है। शीर्ष न्यायालय ने इस मामले में TMC यानी तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं (Trinamool Congress workers) को कड़ी फटकार लगाई है। साथ ही अदालत ने TMC के 6 कार्यकर्ताओं की जमानत भी रद्द कर दी है।
कलकत्ता हाईकोर्ट की तरफ से शेख जमीर हुसैन, शेख नुरई, शेख अशरफ, शेख करीबुल और जयंता डोन को मिली जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने अपील को स्वीकार कर लिया था। इसपर जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच सुनवाई कर रही थी।
एक रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने कहा, ‘चुनाव के नतीजों वाले दिन शिकायतकर्ता के घर पर हुए हमले का एकमात्र मकसद बदला लेना था, क्योंकि उसने भगवा पार्टी का समर्थन किया था।’ कोर्ट ने कहा, ‘ऐसी गंभीर परिस्थित है, जो हमें भरोसा दिलाती है कि प्रतिवादी समेत आरोपी विपक्षी राजनीतिक पार्टी के सदस्यों में दशहत पैदा करने की कोशिश कर रहे थे, जिसका प्रतिवादी समर्थन कर रहे थे।’
रिपोर्ट के अनुसार, आदेश में कहा गया, ‘जिस तरीके से इस घटना को अंजाम दिया गया, वह आरोपियों के बदला लेने के रवैये और विपक्षी पार्टी के समर्थकों को किसी भी तरह से कमजोर करने के मकसद को दिखाता है। यह अपराध लोकतंत्र की जड़ों पर हमले से कम नहीं है।’
कोर्ट के फैसले में इस बात का जिक्र भी है कि शिकायतकर्ता की पत्नी को बालों से पकड़कर घसीटा गया था और कपड़े उतारने की कोशिश की गई थी। इसमें कहा गया है कि आरोपी महिला के साथ यौन हिंसा करने वाले थे, लेकिन खुद पर केरोसीन डालकर आग लगाने की धमकी के बाद आरोपी भाग गए थे। कोर्ट ने कहा, ‘अगर आरोपी प्रतिवादी जमानत पर हैं, तो निष्पक्ष ट्रायल की कोई संभावना नहीं है।’ ऐसे में आरोपी प्रतिवादियों को मिली जमानत को रद्द किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल को गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को शिकायतकर्ता और गवाहों की पूरी सुरक्षा करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही ट्रायल कोर्ट से कहा है कि ट्रायल को 6 महीने के अंदर पूरा किया जाए। शीर्ष न्यायालय ने चेतावनी भी दी है कि अगर CBI की तरफ से किसी तरह के उल्लंघन की जानकारी दी गई है, तो उचित कार्रवाई की जाएगी।
घटना
2 मई 2021 को शेख माहिम की अगुवाई में 40-50 लोगों की भीड़ ने हिंदू परिवार के घर पर हमला किया था और शिकायकर्ता की पत्नी का यौन उत्पीड़न किया था। 3 मई को परिवार शिकायत करने सदईपुर पुलिस स्टेशन पहुंचा था। रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी ने शिकायत स्वीकार नहीं की और शिकायतकर्ता को गांव छोड़ने की हिदायत दी थी। ऐसी ही की शिकायतें पुलिस ने दर्ज नहीं की थीं। 19 अगस्त 2021 को कलकत्ता हाईकोर्ट ने CBI को ऐसे मामलों की जांच के निर्देश दिए थे। सीबीआई ने दिसंबर 2021 में केस दर्ज किए।
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