
नई दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर (External Affairs Minister Dr. S. Jaishankar) ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) (Shanghai Cooperation Organisation – SCO) विदेश मंत्रियों के शिखऱ सम्मेलन (Summit of Foreign Ministers.) में चीन (China) के सामने ही पाकिस्तान (Pakistan) को सुना दिया। उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि भारत (India) आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा और अपनी नीति पर चलते हुए आतंकवादियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करेगा। उन्होंने आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को ‘तीन दानव’ बताया। जयशंकर ने कहा कि इन चुनौतियों से सख्ती से निपटने के अपने उद्देश्यों पर अड़िग रहना जरूरी है।
जानबूझकर करवाया गया पहलगाम हमला- जयशंकर
डॉ. जयशंकर ने मंगलवार को यहां बीजिंग में संगठन के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि इस संगठन की स्थापना आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद की चुनौती से निपटने के लिए की गई थी।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में नृशंस आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ये तीनों चुनौती अकसर एक साथ आती हैं। उन्होंने कहा कि यह हमला जानबूझकर जम्मू-कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को कमजोर करने और धर्म के आधार पर विभाजन को बढ़ावा देने के लिए किया गया था।
उन्होंने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन के कुछ सदस्य संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के भी सदस्य हैं और सुरक्षा परिषद ने इस हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। सुरक्षा परिषद ने, “आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर बल दिया। ” उन्होंने कहा कि भारत ने इसी के अनुरूप कार्रवाई की है। उन्होंने कहा,“ हमने तब से ठीक यही किया है और आगे भी करते रहेंगे। यह ज़रूरी है कि एससीओ अपने संस्थापक उद्देश्यों के प्रति समर्पित रहे और इस चुनौती पर अडिग रुख अपनाए।”
जयशंकर ने दुनिया भर में जारी संघर्षों और टकरावों का उल्लेख करते हुए कहा कि संगठन को वैश्विक व्यवस्था को स्थिर करने तथा इन समस्याओं का समाधान करने की चुनौती है। उन्होंने कहा, “हम ऐसे समय में मिल रहे हैं जब अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में भारी अव्यवस्था व्याप्त है। पिछले कुछ वर्षों में, हमने और अधिक संघर्ष, प्रतिस्पर्धा और दबाव देखा है। आर्थिक अस्थिरता भी स्पष्ट रूप से बढ़ रही है। हमारे सामने चुनौती वैश्विक व्यवस्था को स्थिर करना, विभिन्न पहलुओं को जोखिम मुक्त करना और इन सबके माध्यम से, उन दीर्घकालिक चुनौतियों का समाधान करना है जो हमारे सामूहिक हितों के लिए खतरा हैं।”
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