
नई दिल्ली। आतंकी फंडिंग पर लगाम लगाने के लिए पूंजी बाजार नियामक सेबी ने शुक्रवार को धनशोधन निवारण दिशानिर्देशों में बदलाव किया है। इसके तहत, अब किसी कंपनी में 10 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले भागीदार को लाभार्थी स्वामी माना जाएगा। पहले यह सीमा 15 फीसदी थी।
सरकार ने सितंबर में धनशोधन निवारण नियमों या पीएमएलए नियमों में संशोधन किया था, जिसके बाद सेबी ने यह कदम उठाया। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के नई निर्देशों के अनुसार, किसी साझेदारी फर्म में लाभार्थी स्वामी वह होगा, जिसके पास 10 फीसदी से अधिक पूंजी या मुनाफे का स्वामित्व है या किसी अन्य माध्यम से इतना स्वामित्व हासिल है।
नियामक ने धनशोधन निवारण मानकों और आतंकवाद के वित्तपोषण के मुकाबले के लिए संशोधित निर्देशों के तहत यह व्यवस्था दी है। प्रमुख अधिकारी वित्तीय खुफिया इकाई को जानकारी देने के लिए जिम्मेदार होंगे कि पंजीकृत मध्यस्थ संदिग्ध लेनदेन की जानकारी दे रहे हैं या नहीं।
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