
इंदौर (Indore)। कल जब हादसा हुआ, तब मंदिर खचाखच भरा हुआ था। आधे घंटे तक तो लोग बदहवास होकर इधर-उधर होते रहे और बावड़ी से चीख-पुकारें निकलती रहीं। पहले पुलिस पहुंची और उसके बाद दूसरे बचाव दल पहुंचे। अगर वहां पहुंचने वाले घटना की विभीषिका का अंदाजा लगा लेते और वरिष्ठ अधिकारियों को सही जानकारी दे देते तो आर्मी को जल्दी बुला लिया जाता और कई जानें बच सकती थीं।
बावड़ी हादसे में जांच होगी और जो भी दोषी होगा उसकी भी जांच की जाएगी और मामला धीरे-धीरे ठंडा हो जाएगा, लेकिन इस मामले में वहां पहुंचने वाले पुलिस अधिकारियों की एक बड़ी लापरवाही भी कही जाएगी। जैसे ही हादसा हुआ, वैसे ही वहां पहुंचे पुलिसकर्मी पहले तो कुछ समझ नहीं पाए और जब तक कुछ समझ पाते, तब तक तो लोग पानी में डूबने लगे थे।
कुछ पुलिसकर्मियों ने आसपास से रस्से बुलाकर पानी में डाले, पर कुछ रस्से छोटे पड़ गए तो कई लोग उसके सहारे वापस नहीं आए। वहीं सीढिय़ां भी बुलवाई गईं, पर वे भी नाकाफी साबित हुईं। एक तरह से एनडीआरएफ की टीम भी छोटी सी बावड़ी में बराबर रेस्क्यू ऑपरेशन ठीक से चला नहीं पा रही थी। अगर समय रहते आर्मी को बुला लिया जाता तो वे तत्काल निर्णय ले लेते और काफी जानें बच सकती थीं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि पानी में गिरने के बाद भी कई लोग 2 से 3 घंटे तक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करते रहे। आर्मी ने केवल रात में शव निकालने का काम किया। यदि दोपहर में ही आर्मी को बुला लिया जाता तो कई जानें बच सकती थीं।
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