
इंदौर, विकाससिंह राठौर। भारत से अमेरिका पार्सल और डाक भेजना अब पहले से कहीं ज्यादा महंगा हो गया है। अमेरिकी सरकार ने 29 अगस्त, यानी कल से लागू नई ‘डी मिनिमिस’ नीति के तहत 800 डॉलर तक के छोटे पार्सलों पर मिलने वाली टैक्स छूट समाप्त कर दी है। अब भारत से भेजे जाने वाले किसी भी पार्सल पर अमेरिकी कस्टम ड्यूटी और टैरिफ चार्ज लगेगा।
इस बदलाव का सबसे बड़ा असर उन ई-कॉमर्स कारोबारियों पर पड़ा है, जो भारत से अमेरिका अपने उत्पाद भेजते हैं। इंदौर सहित मध्यप्रदेश और पूरे देश से बड़ी संख्या में छोटे और मझले व्यापारी ई-कॉमर्स प्लेटफार्म जैसे एमेजॉन, ईबे पर अपने प्रोडक्ट सेल करते हैं। पहले छोटे-छोटे ऑर्डर बिना किसी अतिरिक्त टैक्स के सीधे ग्राहकों तक पहुंच जाते थे, लेकिन अब हर ऑर्डर पर अतिरिक्त शुल्क और टैक्स जुडऩे से उन्हें ज्यादा शिपिंग चार्जेस चुकाने पड़ रहे हैं। कल से ही सभी प्रमुख शिपिंग कंपनियों ने अपने रेट्स 10 से 30 फीसदी तक बढ़ा दिए हैं। इससे उत्पादों की कीमत बढ़ेगी और बिक्री में गिरावट आएगी।
इंदौर से होता है करोड़ों का ई कॉमर्स
इंदौर में बड़ी संख्या में व्यापारी ई-कॉमर्स के जरिए अमेरिका में अपने उत्पाद भेजते हैं। इनमें साडिय़ां, कपड़े, बेडशीट्स, खिलौने, ब्यूटी एंड कॉस्मेटिक, घडिय़ां, मोबाइल एसेसरीज, फूड सप्लीमेंट्स, पेंटिंग्स सहित कई चीजें शामिल हैं। इसके लिए व्यापारी डीएचएल, फेडेक्स, शिपग्लोबल, शिपरॉकेट जैसी कंपनियों के माध्यम से अपने पार्सल दिल्ली, मुंबई होते हुए यूएसए भेजते हैं। यह सालाना करोड़ों का कारोबार है। ये सामान इंदौर से फ्लाइट और ट्रांसपोर्ट के माध्यम से जाता है। इस बदलाव के कारण कार्गो व्यापार भी प्रभावित होगा।
पोस्टल और कूरियर सेवाएं भी प्रभावित
इंडिया पोस्ट और निजी कूरियर कंपनियों ने अमेरिका जाने वाली डाक सेवाओं को लेकर नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। अब केवल 100 डॉलर तक मूल्य के दस्तावेज, पत्र और छोटे गिफ्ट ही भेजे जा सकते हैं। पार्सल या व्यापारिक शिपमेंट्स पर नई नीति लागू होने से शुल्क और शिपिंग चार्ज बढ़ा दिए गए हैं। कई शिपिंग कंपनियां ग्राहकों को पहले ही आगाह कर चुकी हैं कि उनकी डिलीवरी लागत अब पहले जैसी नहीं रहेगी। सरकारी और निजी पोस्टल और शिपिंग कंपनियों ने 25 अगस्त से ही अमेरिका के लिए पार्सल की बुकिंग को सीमित कर दिया है।
अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के लिए बढ़ा बोझ
जो भारतीय परिवार अमेरिका में अपने रिश्तेदारों को छोटे-मोटे पार्सल या गिफ्ट भेजा करते थे, उन्हें भी अब ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। वहीं अमेरिकी ग्राहक भी भारतीय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से सामान खरीदते समय अतिरिक्त टैक्स और डिलीवरी चार्ज देने को मजबूर होंगे।
भारत के छोटे निर्यातकों पर बड़ा असर
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका का यह कदम उसके घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग और ऑनलाइन रिटेलर्स को संरक्षण देने के लिए उठाया गया है,लेकिन इसका सीधा असर भारतीय निर्यातकों और छोटे कारोबारियों पर पड़ेगा। अगर दोनों देशों के बीच कोई समझौता नहीं हुआ तो भारतीय ई-कॉमर्स का अमेरिकी बाजार में भविष्य और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
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