
भोपाल के पत्रकार अरशद अली खान का बीती रात इंतकाल हो गया। वो गुजिश्ता 15 दिनों से प्रायवेट अस्पताल में ज़ेरे इलाज थे। 59 बरस के अरशद मियां के यूं अचानक चले जाने की खबर मीडिया हलके में बेहद अफसोस के साथ सुनी गई। 17 अगस्त को उन्होंने फेसबुक पे खुद के अलील (बीमार) होने की पोस्ट डाली थी। उन्होंने अपनी इस आखरी पोस्ट में लिखा था की मेरे लिए दुआ करें। उन्हें निमोनिया बिगडऩे से अहलेखाना (परिजन) ने प्रायवेट अस्पताल में दाखिल कराया था। बताया जाता है कि उन्हें वहां दो सीवियर हार्ट अटैक आ गए। उन्हें तीन दिन से वेंटिलेटर पे रखा गया था। डाक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। वो अपने पीछे बीवी, दो बेटियां और एक बेटा छोड़ गए हैं। शायद अरशद अली खान को अपनी मौत का अहसास हो गया था। 8 अगस्त को उन्होंने फेसबुक पे ये शेर पोस्ट किया- लोग अच्छे हैं बहुत दिल मे उतर जाते हैं, एक बुराई तो बस ये है कि मर जाते हैं। 5 अगस्त को उन्होंने ये शेर भेजा- मौत उसकी है करे ज़माना जिसका अफसोस, यूं तो दुनिया मे सभी आये हैं मरने के लिए। अरशद अली खान भोपाल श्रमजीवी पत्रकार संघ के जिलाध्यक्ष थे।
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