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रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों को अब नहीं मिलेंगे “बंगला चपरासी”

नई दिल्ली । भारतीय रेलवे ने वरिष्ठ अधिकारियों के आवासों पर टेलीफोन अटेंडेंट-कम-डाक खलासी (टीएडीके) के रूप में जाना जाने वाला “बंगला चपरासी” की तैनाती को समाप्त करने का निर्णय लिया है।

रेलवे बोर्ड ने सभी जोन के महाप्रबंधकों को भेजे आदेश में टीएडीके की नियुक्ति से संबंधित मुद्दा रेलवे बोर्ड की समीक्षा के अधीन है। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि टीएडीके पद के लिए कोई नई नियुक्ति तत्काल प्रभाव से शुरू नहीं की जाएगी। इसके अलावा एक जुलाई 2020 से ऐसी नियुक्तियों के लिए अनुमोदित सभी मामलों की समीक्षा की जा सकती है और बोर्ड को सलाह दी जा सकती है। इसका अनुपालन सभी रेलवे प्रतिष्ठानों में सख्ती से किया जाना चाहिए।

ब्रिटिशकालीन बंगला चपरासी की इस व्यवस्था की समीक्षा के बाद इसे बंद करने का निर्णय लिया गया। असल में आरोप लगाया गया था कि रेलवे अधिकारियों ने टीएडीके की सेवाओं का दुरुपयोग करने की कोशिश की थी।

रेल मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि टीएडीके को शुरुआती 120 दिनों की सेवा के बाद ग्रुप डी श्रेणी में भारतीय रेलवे के अस्थायी कर्मचारी के रूप में माना जाता है। तीन साल की सेवा पूरी होने पर स्क्रीनिंग टेस्ट के बाद पोस्टिंग स्थायी हो जाती है। भारतीय रेलवे चौतरफा प्रगति के तेजी से परिवर्तनशील मार्ग पर है। प्रौद्योगिकी और कामकाजी परिस्थितियों में बदलाव के मद्देनजर कई प्रथाओं और प्रबंधन उपकरणों की समीक्षा की जा रही है। उठाए गए उपायों को ऐसे संदर्भ में देखा जाना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे ने पिछले महीने भी खर्च को कम करने के लिए ब्रिटिशकालीन एक अन्य व्यवस्था को समाप्त करने का आदेश जारी किया था। इसमें आधिकारिक संचार के लिए डाक संदेशवाहक या व्यक्तिगत संदेशवाहक का उपयोग करने के बजाये वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सलाह दी गई थी।

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