
इंदौर। नगर निगम (Municipal council) ने शहर में कई स्थानों पर बारिश (Rain) का पानी (Water) जमीन में पहुंचाने के लिए अभियान शुरू किया था। इसके लिए अलग-अलग प्रमुख स्थानों पर रिचार्ज शाफ्ट लगाने शुरू किए। इस पूरी प्रक्रिया में बोरिंग करने के साथ-साथ वहां संसाधन लगाकर बारिश का पानी जमीन में भेजा जाता है और एक रिचार्ज शाफ्ट पर सवा से डेढ़ लाख तक का खर्चा आता है। कई संस्थाओं की मदद से निगम ने अब तक 200 रिचार्ज शाफ्ट कराए हैं।
पिछले दो-तीन सालों से नगर निगम द्वारा शहर के सभी प्रमुख क्षेत्रों के साथ-साथ कालोनियों में रहवासी संघों की मदद से रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की शुरुआत कराई गई थी। इसके लिए झोनलों पर अधिकृत प्लम्बरों की तैनाती करने के साथ-साथ उनकी दरें भी निर्धारित कर दी थीं। इसी के चलते शहर की सैकड़ों कालोनियों में रिचार्ज सिस्टम लगाए गए। नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक इस बार बारिश में 300 स्थानों पर रिचार्ज शाफ्ट लगाने का लक्ष्य रखा गया था, जिनमें से 200 का काम लगभग पूरा हो रहा है। इसके लिए कई बड़ी कम्पनियों के साथ-साथ बैंकों की मदद ली गई और उनके यहां के सीएसआर फंड के तहत यह कार्य कराए गए। इससे निगम को यह फायदा हुआ कि 200 रिचार्ज शाफ्ट शहर में लगाए गए और इन पर ढाई करोड़ से ज्यादा का खर्च निगम को नहीं करना पड़ा। 100 और स्थानों पर इसके लिए कई संस्थाओं की मदद से आने वाले दिनों में शुरू कराए जाने हैं। पूर्व में निगम ने इसी पैटर्न पर शहर के 6 तालाबों को दो सालों में न केवल संवारा, बल्कि वहां आसपास के हिस्सों में सौंदर्यीकरण के कार्य भी कराए गए।
अब तक इन स्थानों पर हुए काम
अफसरों के मुताबिक कलेक्टोरेट, बंगाली चौराहा, विजयनगर, पीपल्याहाना, रेसीडेंसी क्षेत्र के अलावा जलजमाव वाले क्षेत्रों के साथ-साथ कई सरकारी दफ्तरों, उद्यानों के आसपास यह कार्य किए गए हैं। इनकी देखरेख का कार्य निगम की टीमों द्वारा किया जाता है और उसमें सुरक्षा के लिए जालियां लगाने के साथ-साथ कई संसाधन लगाए जाते हैं, ताकि बारिश का पानी जमीन में भेजा जा सके। अब तक आईसीआईसीआई फाउंडेशन, सोनिक, बायोकेम, एनएचडीसी, मेट्रो, सुफलाम सेवा संस्थान के साथ-साथ कई बैंकों और प्राइवेट एजेंसियों ने इन कार्यों की जिम्मेदारी ली थी।
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