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शाहीन-परवेज की साजिश का पर्दाफाश, ATS ने क्या बड़ा खुलासा किया?

November 18, 2025

नई दिल्‍ली । यूपी एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) ने ‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल’(‘White-collar terrorist module’) मामले में गिरफ्तार डॉ. शाहीन शाहिद(Dr. Shaheen Shahid arrested) और उसके हिरासत (custody)में लिए गए भाई डॉ. परवेज की विदेश यात्राओं और ओवरसीज नेटवर्क की जांच को और व्यापक कर दिया है। वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, दोनों भाई-बहन की अंतरराष्ट्रीय यात्राओं को संभावित कट्टरपंथी नेटवर्क की पड़ताल का अहम सूत्र माना जा रहा है। जांच का दायरा अब सऊदी अरब और तुर्की के अलावा एक और मुस्लिम देश- मालदीव तक पहुंच गया है। वहीं कई भारतीय राज्यों में पहले ही एजेंसियां जांच में जुटी हैं।


सऊदी में शाहीन की दो साल की मौजूदगी पर सवाल

टाइम्स ऑफ इंडिया ने ATS सूत्रों के हवाले से लिखा, डॉ. शाहीन 2013-2014 के दौरान लगभग दो वर्षों तक सऊदी अरब में रहीं। वह वहां मेडिकल सेक्टर में कार्यरत थी, लेकिन एजेंसियां यह पता लगा रही हैं कि वह किस शहर में रहती थी, किस अस्पताल या मेडिकल इकाई से जुड़ी थी और किन लोगों के संपर्क में आई।

जांचकर्ता यह भी खंगाल रहे हैं कि क्या उसकी मुलाकात किसी ऐसे व्यक्ति से हुई थी जो विदेशी खुफिया एजेंसियों की निगरानी सूची में रहा हो। उसी अवधि के दौरान उसके वित्तीय लेनदेन, स्थानीय संपर्कों और वहां से प्राप्त संदिग्ध रेफरेंस को मैप किया जा रहा है, ताकि यह समझा जा सके कि कहीं इन गतिविधियों का संबंध वर्तमान में जांच के दायरे में आए जैश-ए-मोहम्मद (JeM) मॉड्यूल से तो नहीं जुड़ता।

परवेज की मालदीव यात्रा भी संदेह के घेरे में

डॉ. परवेज वर्ष 2016 में मालदीव गया था और वहां एक निजी संस्थान में नौकरी करने का दावा करता है। ATS यह जांच रही है कि उसकी उपस्थिति उस अवधि में मालदीव में सक्रिय किसी संदिग्ध रिक्रूटर, कट्टरपंथी प्रवर्तक या ऑनलाइन रेडिकलाइजर से कहीं मेल तो नहीं खाती। उसकी विदेश में नौकरी का इतिहास, बैंकिंग ट्रेल और उस दौरान की डिजिटल कम्युनिकेशन अब विस्तृत जांच का हिस्सा हैं।

एक तुर्की नागरिक से ऑनलाइन संपर्क ने बढ़ाई एजेंसियों की चिंता

हालांकि अभी तक इस बात का कोई प्रमाण नहीं मिला है कि दोनों भाई-बहन किसी दुश्मन देश की यात्रा पर गए हों, लेकिन ATS ने एक तुर्की नागरिक को जांच के केंद्र में रखा है। सूत्रों के अनुसार, शाहीन की इस विदेशी नागरिक से ऑनलाइन बातचीत होती थी। अब एजेंसियां उस व्यक्ति की पहचान, डिजिटल फुटप्रिंट और इस बात की पड़ताल कर रही हैं कि कहीं वह शाहीन की गतिविधियों को प्रभावित करने या दिशा देने में भूमिका तो नहीं निभा रहा था।

जांच शुरुआती लेकिन ‘हाई-प्रायोरिटी’ चरण में

अधिकारियों का कहना है कि केस अभी शुरुआती, लेकिन अत्यंत संवेदनशील चरण में है। विदेशी संपर्क, संदिग्ध डिजिटल बातचीत और पहचान छिपाने के कई संकेतों ने जांच को और गहराई तक ले जाने की आवश्यकता पैदा कर दी है। एजेंसियां अब संगठित विदेशी नेटवर्क की संभावनाओं, वित्तीय लिंक और डिजिटल ट्रेल को जोड़ने में जुटी हैं, ताकि मॉड्यूल के वास्तविक स्वरूप और इसके ऑपरेटिव पैटर्न का खुलासा हो सके। जांच की दिशा और उसके नतीजे आने वाले दिनों में कई नए खुलासे कर सकते हैं।

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