
नई दिल्ली: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज (Shankaracharya Swami Avimukteshwarananda Saraswati Maharaj) अपने धार्मिक विचारों (Religious Views) और सियासी बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं. इस बार उन्होंने बिहार (Bihar) के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया मोड़ लाने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता गौ-माता (Mother Cow) की रक्षा करना है, जिसे वे भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की आत्मा बताते हैं.
उनका मानना है कि बिहार की शुद्ध देसी नस्ल की गायें लगभग लुप्त हो चुकी हैं. इस संकट से निपटने के लिए वे पारंपरिक तरीकों से हटकर एक नया राजनीतिक प्रयोग कर रहे हैं. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, ”अब वोटर आगे आएं और गायों की रक्षा के लिए मतदान करें.” यह घोषणा उस समय आई है जब बिहार में चुनावी माहौल धीरे-धीरे बन रहा है और प्रमुख दल एनडीए और महागठबंधन अपनी-अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने साफ किया कि उनकी कोई राजनीतिक पार्टी नहीं है और न ही वे किसी पार्टी के साथ गठबंधन करेंगे. इसके बावजूद वे बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर स्वतंत्र उम्मीदवार उतारने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि हर निर्वाचन क्षेत्र से एक ऐसा उम्मीदवार चुना जाएगा जो गौरक्षा के प्रति समर्पित होगा. इन उम्मीदवारों को उनका आशीर्वाद और समर्थन मिलेगा. यह एक विरोध का तरीका है, क्योंकि अब तक सत्ता में आई किसी भी पार्टी ने इस मुद्दे पर ठोस कदम नहीं उठाया.
भारत में गाय केवल एक पशु नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है. हिंदू समाज में गौ-माता को पवित्र माना जाता है और लंबे समय से गौरक्षा का मुद्दा राजनीति के केंद्र में रहा है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, ”गौ माता पर अत्याचार लगातार बढ़ रहे हैं. हमने एक-एक करके कई पार्टियों को सत्ता में लाया, लेकिन किसी ने गौरक्षा के लिए ठोस कदम नहीं उठाया.” अब वे सीधे मतदाताओं से अपील करेंगे कि वे केवल उन उम्मीदवारों को वोट दें जो गाय की रक्षा को धर्म और पाप-पुण्य से जोड़कर देखते हैं. उनका यह संदेश सीधा ग्रामीण और पारंपरिक मतदाताओं को संबोधित करता है, जहां गाय केवल जीविका का साधन नहीं बल्कि आस्था का प्रतीक है.
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