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शापूरजी पालोनजी ग्रुप को दिसंबर तक चुकाना हैं 1.2 अरब डॉलर का कर्ज, टाटा संस में हिस्सेदारी को रखा गिरवी..

October 11, 2025

नई दिल्ली। टाटा समूह की कंपनियों (Tata Group companies) का नियंत्रण करने वाले टाटा ट्रस्ट (Tata Trusts) के विभिन्न ट्रस्टी के बीच जारी खींचतान के बीच शापूरजी पालोनजी (SP) ग्रुप (Shapoorji Pallonji (SP) Group) एक बार फिर आर्थिक दबाव में आ गया है। दरअसल, शापूरजी पालोनजी ग्रुप (Shapoorji Pallonji Group) को दिसंबर 2025 तक लगभग 1.2 अरब डॉलर (करीब ₹10,000 करोड़) का कर्ज चुकाना है, जिसके लिए उसने अपनी टाटा संस में पूरी हिस्सेदारी को गिरवी रखा है। मनीकंट्रोल की खबर में सूत्रों ने बताया कि शापूरजी पालोनजी ग्रुप ने पहले करीब 3.2 अरब डॉलर के पुराने कर्ज का री-फाइनेंसिंग किया था और अब उसे दो महीने के भीतर ब्याज और मूलधन दोनों की अदायगी करनी है। मिस्त्री परिवार के स्तर पर प्रमोटर कर्ज ₹25,000–30,000 करोड़ के बीच है, जो समूह के कुल ₹55,000–60,000 करोड़ के कर्ज का लगभग आधा हिस्सा है।


शापूरजी पालोनजी ग्रुप की 18% से अधिक हिस्सेदारी
बता दें कि शापूरजी पालोनजी ग्रुप, टाटा संस से अपनी हिस्सेदारी बेचकर बाहर निकलने की योजना पर बातचीत कर रहा है। इस ग्रुप की हिस्सेदारी 18% से अधिक है। कर्जदाताओं ने बताया कि यह पूरा कर्ज शापूरजी पालोनजी ग्रुप की परिसंपत्तियों के विरुद्ध सुरक्षित है, जिसमें टाटा संस के शेयर भी शामिल हैं लेकिन इन शेयरों को गिरवी रखने के बावजूद, उन्हें नकदी में बदलना आसान नहीं है। टाटा संस एक गैर-सूचीबद्ध कंपनी है। इसलिए बिना टाटा समूह की मंजूरी के किसी बाहरी खरीदार को यह शेयर बेचे नहीं जा सकते। वर्तमान में टाटा समूह ने एसपी ग्रुप को उसके हिस्से की पूरी या आंशिक खरीद के लिए कोई प्रस्ताव नहीं दिया है, जिससे कर्जदाताओं के लिए स्थिति और जटिल हो गई है।

टाटा ट्रस्ट के निदेशक मंडल की बैठक संपन्न
इस बीच, टाटा ट्रस्ट के निदेशक मंडल की बैठक आयोजित की गई। बैठक में ट्रस्ट से संबंधित रोजमर्रा के मुद्दों पर चर्चा की गई और किसी भी विवादास्पद विषय को नहीं उठाया गया। यह एक सामान्य बैठक थी और इसमें कोई भी विवादास्पद मुद्दा नहीं उठाया गया। बैठक में विभिन्न अस्पतालों और ग्रामीण विकास परियोजनाओं के बारे में प्रस्तुतियां दी गईं। यह बैठक टाटा ट्रस्ट के शीर्ष नेतृत्व के मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात के बाद हुई है। बता दें कि टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन नोएल टाटा और टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने मंगलवार को शाह और सीतारमण से मुलाकात की थी।

दो गुट में है टाटा ट्रस्ट
सूत्रों के अनुसार, टाटा ट्रस्ट इस समय दो गुटों में बंट गया है। एक गुट नोएल टाटा के साथ है। नोएल टाटा को रतन टाटा के निधन के बाद ट्रस्ट का चेयरमैन नियुक्त किया गया था। दूसरे गुट में चार ट्रस्टी शामिल हैं जिनका नेतृत्व मेहली मिस्त्री कर रहे हैं। उनका संबंध शापूरजी पलोनजी परिवार से है। शापूरजी पलोनजी परिवार टाटा संस में लगभग 18.37 प्रतिशत हिस्सा रखता है। रिपोर्ट के मुताबिक, मेहली मिस्त्री को यह लगता है कि उन्हें महत्वपूर्ण मामलों से बाहर रखा गया है। सूत्रों के मुताबिक, विवाद का मुख्य कारण टाटा संस के निदेशक मंडल में नियुक्तियां हैं। टाटा संस ही 156 साल पुराने समूह का नियंत्रण करने वाली प्रवर्तक कंपनी है।

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