
नई दिल्ली. अमेरिका (US) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा बार-बार किए जा रहे उस दावे पर कांग्रेस नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor ) ने साफ शब्दों में सवाल खड़े किए हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि भारत (India) और पाकिस्तान (Pakistan) के बीच मई में हुए सैन्य तनाव को खत्म कराने में व्यापार का इस्तेमाल किया गया। थरूर ने कहा कि सरकार के अलग-अलग स्तरों से हुई बातचीत के आधार पर यह साफ है कि न तो भारत पर किसी तरह का व्यापारिक दबाव डाला गया और न ही अमेरिका की ओर से यह कहा गया कि भारत को क्या करना चाहिए और क्या नहीं। थरूर ने एक बार एक ऐसा बयान दिया है, जो सरकार के लिए पक्ष का है।
एक कार्यक्रम में बोलते हुए थरूर ने कहा कि भारत को कभी भी युद्ध रोकने के लिए मनाने की जरूरत नहीं पड़ी। उन्होंने बताया कि 6-7 मई की रात पहले ही हमले के साथ भारत ने यह संकेत दे दिया था कि वह लंबे संघर्ष में नहीं जाना चाहता। भारत ने केवल सटीक और सीमित कार्रवाई की, जिसमें आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। पाकिस्तानी नागरिक ठिकानों, सरकारी इमारतों या सैन्य प्रतिष्ठानों को जानबूझकर निशाना नहीं बनाया गया।
भारत की रणनीति और सैन्य रुख
थरूर ने कहा कि अगर पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई नहीं करता तो भारत की कार्रवाई वहीं खत्म हो जाती। लेकिन पाकिस्तान के पलटवार के बाद भारत को जवाब देना पड़ा। उन्होंने साफ किया कि भारत की नीति यह थी कि जैसे ही पाकिस्तान रुक जाएगा, भारत भी रुक जाएगा। यही संदेश सरकार की ओर से संघर्ष के चारों दिनों तक दिया गया।
सीजफायर कैसे हुआ
कांग्रेस नेता ने कहा कि जैसे ही पाकिस्तान ने संघर्ष रोकने की बात कही, भारत ने भी तुरंत सहमति जता दी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच क्या बातचीत हुई, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। अगर ट्रंप ने पाकिस्तान को शांति के लिए राजी करने में कोई भूमिका निभाई, तो एक शांति पसंद देश होने के नाते भारत उसका स्वागत कर सकता है। हालांकि, दिल्ली में इस तरह की बात आधिकारिक तौर पर नहीं कही गई।
ट्रंप के दावे और भारत का रुख
थरूर ने कहा कि सरकार के विभिन्न स्तरों से हुई बातचीत में कहीं भी यह सामने नहीं आया कि ट्रंप से सीधे बातचीत हुई हो या व्यापार और टैरिफ को हथियार बनाकर दबाव बनाया गया हो। उन्होंने कहा कि ट्रंप का यह दावा भारत सरकार के रिकॉर्ड, अनुभव और आधिकारिक बयानों से मेल नहीं खाता। इसी वजह से भारत इस तरह के दावों से हैरान रहा।
ऑपरेशन सिंदूर और राजनीतिक बहस
थरूर ने यह भी स्पष्ट किया कि वह सरकार का हिस्सा नहीं हैं और उनके पास कोई गोपनीय जानकारी नहीं है। इसके बावजूद उनके आकलन के मुताबिक ट्रंप के दावों की पुष्टि करने का कोई आधार नहीं है। गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मौत के बाद भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था।
इसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाया गया। 10 मई को दोनों देशों के बीच संघर्ष रोकने पर सहमति बनी। भारत लगातार यह कहता रहा है कि इस पूरे घटनाक्रम में किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं रही।
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