
नई दिल्ली: कांग्रेस (Congress) सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने वॉशिंगटन डीसी (Washington DC) में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत-पाक संघर्ष में चीन (China) को नजरअंदाज करना नामुमकिन है, क्योंकि पाकिस्तान (Pakistan) की 81% सैन्य क्षमता चीन से आती है. थरूर इस समय ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत (India) के संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए पाकिस्तान-आतंक गठजोड़ को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उजागर कर रहे हैं.
थरूर ने कहा कि चीन-पाक गठजोड़ केवल सैन्य सहयोग तक सीमित नहीं है. उन्होंने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट बताया. उन्होंने कहा कि चीन का यह निवेश पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था से लेकर सैन्य नीति तक, हर जगह उसकी गहरी पैठ बना रहा है.
थरूर के अनुसार, पाकिस्तान ने संघर्ष के दौरान चीन की ‘किल चेन’ तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसमें रडार, GPS, मिसाइल और विमान पूरी तरह आपस में सिंक्रोनाइज होते हैं. भारत ने इस तकनीक का मुकाबला करते हुए 11 पाकिस्तानी एयरफील्ड्स को निशाना बनाया और चीनी एयर डिफेंस सिस्टम को भेदा. उन्होंने कहा कि अगर हमने अपनी रणनीति तुरंत नहीं बदली होती, तो इतना बड़ा ऑपरेशन संभव नहीं था.
कांग्रेस सांसद ने बताया कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद UNSC की प्रेस रिलीज़ में द रेसिस्टेंस फ्रंट का नाम था, लेकिन पाकिस्तान और चीन के दबाव में उसे हटा दिया गया. थरूर ने कहा कि यह दर्शाता है कि वैश्विक मंचों पर भी चीन पाकिस्तान के साथ खड़ा है.
थरूर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हाल के वर्षों में भारत ने चीन के साथ संबंध सामान्य करने की कोशिश की है. व्यापार भी रिकॉर्ड स्तर पर है, लेकिन पाकिस्तान के साथ हालिया संघर्ष ने चीन की असली रणनीति को उजागर कर दिया. उन्होंने कहा, हम संवाद के पक्षधर हैं, लेकिन रणनीतिक खतरे को नजरअंदाज करना नासमझी होगी.
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