
नई दिल्ली । भारत (India) पर भारी टैरिफ (Tariff) लगाने के बाद लगातार आपत्तिजनक बयान (offensive statement) दे रहे अमेरिका (America) के नेताओं को शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने आईना दिखाया है। उन्होंने बताया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लगता है कि टैरिफ बहुत बड़ा हथियार है, जबकि इससे अमेरिका को सबसे ज्यादा घाटा हो रहा है। ट्रंप ने भारत पर कुल 50 फीसदी शुल्क लगाया है, जो किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे ज्यादा है।
एएनआई से बातचीत में थरूर ने कहा, ‘…ट्रंप को यह लगता है कि टैरिफ कई समस्याओं को सुलझाने के जादुई हथियार है। उन्हें लगता है कि कई चीजें जो पहले अमेरिका में बनती थी, अब विदेश से आयात की जा रही हैं। वह इसे और ज्यादा महंगा बनाना चाहते हैं, ताकि अमेरिकी निर्माता अमेरिका में और ज्यादा काम करें और अमेरिका के कागारों को रोजगार दें, जो उनके MAGA क्षेत्र में शामिल हैं।’
उन्होंने कहा, ‘दूसरी बात यह कि उन्हें लगता है कि टैरिफ देश के राजस्व का बड़ा सोर्स हो सकते हैं। अमेरिका में बहुत बड़ा घाटा है। यह दुनिया में सबसे बड़ा है। वह उम्मीद कर रहे हैं कि जैसे कि वह दावा करते हैं कि टैरिफ कलेक्ट कर हर महीने अरबों डॉलर का राजस्व आ रहा है, जिससे वह घाटे को कम कर देंगे…। इस अनुचित स्थिति और साथ में हुए अपमान ने भारत में बड़ा विरोध खड़ा कर दिया है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘इन दोनों की वजह खुद ट्रंप की उनके बयानों और ट्वीट्स में इस्तेमाल की गई भाषा और इसके बाद उनके सलाहकार नवारो की तरफ से दिए गए आपत्तिजनक बयान हैं, जिसका विरोध देशभर में हुआ। अगर 30 साल के संबंधों में कोई खास परेशानी नहीं थी, जो पहले ही और मजबूत होता जा रहा था, तो आपको भारत के प्रति ऐसी भाषा इस्तेमाल करने की जरूरत क्या थी? इसे बिल्कुल पसंद नहीं किया गया।’
नवारो ने भारत पर साधा निशाना
नवारो भारत पर लगातार निशाना साध रहे हैं। 16 सितंबर को ही नवारो ने कहा है कि भारत ‘बातचीत की मेज पर आ रहा है।’ उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि दुनिया के प्रमुख देशों की तुलना में भारत सबसे ज्यादा शुल्क लगाता है। उनकी यह टिप्पणी डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के मुख्य वार्ताकार ब्रेंडन लिंच की प्रस्तावित भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर दिन भर चलने वाली वार्ता से पहले आई थी।
नवारो, जो अक्सर रूसी कच्चे तेल की खरीद को लेकर भारत पर निशाना साधते रहे हैं, ने कहा था कि देश ने 2022 में यूक्रेन पर हमले से पहले ऐसी आपूर्ति नहीं खरीदी थी। ‘हमले के तुरंत बाद भारतीय रिफाइनर रूसी रिफाइनरों के साथ मिल गए… यह ‘पागलपन’ है क्योंकि वे अनुचित व्यापार में हमसे पैसा कमाते हैं।’ उन्होंने दावा किया और कहा कि अमेरिकी कर्मचारी इससे प्रभावित होते हैं।
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