
इंदौर। अभी तक देश में केन्द्र सरकार ने उन शहरों में ही मेट्रो चलाने की अनुमति दी जहां की आबादी 1 करोड़ या उससे अधिक है। मगर इंदौर और भोपाल दो ऐसे शहर हैं जहां पर इससे कम आबादी होने पर भी भी मेट्रो की सौगात मिली। इंदौर में तो आज से यात्री संचालन मेट्रो का शुरू हो गया। हालांकि भोपाल में अभी थोड़ा और समय लगेगा। इंदौर-भोपाल मेट्रो की यात्रा इतनी आसान नहीं रही है। 2011 से इसकी योजना बनाई गई, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान थे। उन्होंने हालांकि 2018 तक ही मेट्रो चलाने की घोषणा की थी, जिसमें विलंब भी हुआ। तत्पश्चात सितम्बर 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इंदौर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की नींव रखी और उसके बाद 2023 में फिर से मुख्यमंत्री बने शिवराजसिंह चौहान ने ट्रायल रन लिया और अब आज मोहन सरकार को यात्री संचालन का मौका मिला।
भोपाल के जम्बूरी मैदान से आज लगभग पौने 12 बजे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंदौर मेट्रो का वर्चुअली लोकार्पण किया और उसके बाद ही महिलाओं-अतिथियों से लदी सजी-धजी मेट्रो ट्रेन 6 किलोमीटर के प्रायोरिटी कॉरिडोर पर दौडऩे लगी। आज दोपहर 2 बजे तक इसका संचालन किया जाएगा और फिर कल सुबह 8 बजे से मेट्रो में जनता सफर कर सकेगी। 32 किलोमीटर का पहला चरण अमल मेंलाया जाना है और राह इतनी आसान नहीं है। अभी तो अंडरग्राउंड मेट्रो का काम ही शुरू नहीं हुआ है।
क्योंकि उसके ड्राइंग-डिजाइन में बार-बार परिवर्तन के प्रयास किए जाते रहे हैं। दिसम्बर-2011 में इंदौर मेट्रो की योजना बनी और फिर दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने इंदौर-भोपाल मेट्रो के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की और जनवरी 2012 में टीम ने भोपाल आकर दौरा किया और फिर केन्द्र सरकार ने 2013 में मुंबई की कम्पनी को डीपीआर बनाने का जिम्मा सौंपा। महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि उस दौरान केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी और तब कमलनाथ ही मंत्री थे और उन्होंने इसकी मंजूरी दी, जिसका उल्लेख उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद इंदौर में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की आधारशीला रखते हुए कही भी थी।
2013 में मुंबई की कम्पनी ने काम शुरू किया और उसके बाद फिर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने अपने घोषणा-पत्र में ही 2018 तक मेट्रो चलाने की बात कही, जो हालांकि पूरी नहीं हो सकी। अक्टूबर 2018 में केन्द्र सरकार ने मेट्रो की डीपीआर को मंजूरी दी। तब तक केन्द्र में मोदी सरकार भी पूरी ताकत से काम करने लगी थी। उसके बाद विधानसभा चुनाव में श्रेय लेने के लिए इसी 6 किलोमीटर के प्रायोरिटी कॉरिडोर पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने ट्रायल रन लिया और उस वक्त मध्यप्रदेश मेट्रो कॉर्पोरेशन के एमडी मनीष सिंह थे और उन्होंने ही तत्परता से ट्रायल रन के लिए प्रायोरिटी कॉरिडोर तैयार करवाया। इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट उनके कार्यकाल में ही सबसे तेज गति से चला और तमाम बाधाओं को मनीष सिंह ने तुरंत-फुरत दूर करवाते हुए कुछ ही महीनों में मेट्रो चलाकर दिखा भी दी। उसके बाद पिछले 2 सालों से काम की रफ्तार धीमी ही रही और आज भी उसी 6 किलोमीटर पर यात्री संचालन शुरू हो रहा है जिस पर ट्रायल रन लिया गया था। यानी अगर काम की रफ्तार अच्छी रहती तो कम से कम गांधी नगर से विजय नगर तक ही यात्री संचालन शुरू किया जा सकता था, जिसे अब इस साल के अंत तक शुरू करने की बात कल विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने की है। अब सीएम डॉ. यादव के नेतृत्व में इंदौर-भोपाल मेट्रो का संचालन शुरू हो रहा है।
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