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कबूतर प्रेमियों को झटका : SC ने कहा, दाना डालने वालों पर दर्ज करो FIR

August 12, 2025

नई दिल्‍ली। मुंबई में कबूतरों (Pigeons) को दाना खिलाने पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है और याचिकाकर्ताओं से हाई कोर्ट जाने को कहा है। इतना ही नहीं जस्टिस जेके माहेश्वरी (Justice JK Maheshwari) और जस्टिस विजय बिश्नोई (Justice Vijay Bishnoi) की पीठ ने बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) के फैसले के खिलाफ भीड़ द्वारा दादर कबूतरखाना को जबरदस्ती खोलने और कबूतरों को दाना डालने की घटना पर गुस्सा जाहिर करते हुए कहा है कि जो लोग भी, इस तरह कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं, इन्हें गिरफ्तार किया जाए और उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए।



एक रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “इस न्यायालय द्वारा समानांतर हस्तक्षेप उचित नहीं है। याचिकाकर्ता आदेश में संशोधन के लिए हाई कोर्ट जा सकता है।” पीठ ने हाई कोर्ट के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि कबूतरों को दाना डालना गंभीर स्वास्थ्य संबंधी खतरा पैदा करता है। शीर्ष अदालत ने बृहन्मुंबई नगर निगम को निर्देश दिया कि वह उन लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करे जो निगम के निर्देशों का उल्लंघन कर मुंबई के ‘कबूतरखानों’ में कबूतरों को दाना डालना जारी रखे हुए हैं।

हाई कोर्ट ने क्या कहा था?
हाई कोर्ट ने पिछले महीने पशु प्रेमियों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा दायर कई याचिकाओं को खारिज कर दिया था और कहा था कि दादर, चर्चगेट से लेकर विभिन्न स्थानों पर, चौराहों पर बने कबूतरखानों पर कबूतरों को दाना डालना सार्वजनिक रूप से परेशानी उत्पन्न करने वाला कृत्य है और इससे लोगों के स्वास्थ्य को भी खतरा है। अदालत ने साथ ही मुंबई नगर निगम को ऐसी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था। इसमें दादर, चर्चगेट से लेकर विभिन्न स्थानों पर, चौराहों पर बने कबूतरखानों पर कबूतरों को दाना खिलाने से रोकने का आदेश दिया था।

कबूतरखानों’ को ध्वस्त करने पर रोक

शुरुआत में, हाई कोर्ट ने BMC को ‘कबूतरखानों’ को ध्वस्त करने से रोक दिया था, लेकिन यह भी कहा था कि कबूतरों को दाना डालने की अनुमति नहीं दी जा सकती। 30 जुलाई को, स्वास्थ्य संबंधी खतरों और लोगों द्वारा नगर निगम अधिकारियों के कार्य में बाधा डालने के बावजूद कबूतरों को दाना डालने की गतिविधियों के जारी रहने को देखते हुए, न्यायालय ने कबूतरों के समूहों को दाना डालना जारी रखने वालों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने का निर्देश दिया था।

जैन समुदाय में रोष

बता दें कि पिछले दिनों जैन और गुजराती समुदाय के लोगों ने मुंबई में इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया था और दादर कबूतरखाने के ऊपर लगे तिरपाल को फाड़ दिया था और वहां कबूतरों को दाना डाला था। इसके खिलाफ कई राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। मामला गरम होते देख खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को दखल देना पड़ा था और स्पष्ट किया था कि बीएमसी के लोग कबूतरों को दाना देंगे। उनके अलावा किसी को इसकी इजाजत नहीं होगी।

जैन मुनि ने कहा नहीं मानेंगे आदेश
दूसरी तरफ, आज भी जैन समुदाय के लोगों ने इस फैसले के खिलाफ आक्रामक प्रदर्शन किया। भीड़ ने बीएमसी द्वारा तिरपाल को सुरक्षित रखने के लिए इस्तेमाल किए गए बांस के डंडे तोड़ दिए । समुदाय की कुछ महिलाओं ने रस्सियाँ और डोरियाँ काटने के लिए कथित तौर पर हाथों में चाकू ले रखे थे। घटना के बाद जैन मुनि नीलेशचंद्र विजय ने कड़ा बयान देते हुए कहा “अगर अदालत हमारे धर्म के आड़े आएगी तो हम उसकी भी बात नहीं मानेंगे।” उनकी इस टिप्पणी की बाद में व्यापक आलोचना हुई है।

मुंबई में तकरार बढ़ने के आसार
इस बीच जवाब में मराठी एकीकरण समिति ने आज घोषणा की कि वह जैन समुदाय के कार्यों का विरोध करेगी। संगठन ने कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। समिति ने कबूतरखाना स्थायी रूप से बंद करने का आह्वान करते हुए बुधवार को दादर में विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है। अभी यह पता नहीं चल सका है कि पुलिस विरोध प्रदर्शन की अनुमति देती है या नहीं। इस बीच अगर समिति के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरते हैं तो मनसे और ठाकरे गुट जैसे राजनीतिक दल आंदोलन को अपना समर्थन दे सकते हैं।

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