
शिमला: हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार को बड़ा झटका लगा है. प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के बिजली परियोजनाओं पर वॉटर सेस (Water Cess) लगाने के फैसले को रद्द कर दिया है. इससे जुड़ी अधिसूचना को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है.
जानकारी के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार ने बिजली परियोजनाओं पर वॉटर सेस लगाने की अधिसूचना जारी की थी. इसके खिलाफ, कुछ कंपनों ने हाईकोर्ट में याचिका डाली थी और इस फैसले का विरोध जताया था. तब से यह मामला कोर्ट में चल रहा था. कांग्रेस के राज्यसभा प्रत्याशी रहे अभिषेक मनु सिंघवी समेत वकीलों की फौज कंपनियों की तरफ से मामले की पैरवी कर रही थी. अब इस मामले में हिमाचल सरकार को झटका लगा है और हाईकोर्ट में सरकार की ओर से जारी अधिसूचना को रद्द कर दिया है.
वरिष्ठ वकील रजनीश मनिकटाला ने बताया कि आज हाईकोर्ट ने फैसला दिया है. उसके हिसाब से वाटर सेस जुड़ा कानून को असवैंधिक करार दिया गया है. आर्टिकल 246 के तहत प्रदेश सरकार कानून बनाने का अधिकार नहीं है. ऐसे में अब सरकार बिजली कंपनियों से कोई सेस नहीं ले पाएगी.
क्या है पूरा मामला
हिमाचल सरकार ने हिमाचल प्रदेश में 173 बिजली परियोजना पर वाटर सेस लगाया था. प्रदेश के 173 प्रोजेक्टों से सालाना करीब 2000 करोड़ रुपये का आय का अनुमान लगाया गया था. बीते साल 25 अक्टूबर 2023 को केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने भी सभी राज्यों को पत्र लिखकर वॉटर सेस को अवैध और असंवैधानिक बताया था. कहा था कि बिजली उत्पादन पर वॉटर सेस और अन्य शुल्क लगाने के लिए राज्य सरकारों के पास अधिकार नहीं है. बता दें कि प्रदेश सरकार ने विधानसभा में वाटर सेस पर विधेयक पारित कर राज्य जल उपकर आयोग भी बनाया है.
पंजाब और हरियाणा ने भी जताया था विरोध
अहम बात है कि सरकार के फैसले का पंजाब और हरियाणा ने भी विरोध जताया था. सुक्खू सरकार ने प्रदेश की आर्थिकी को पटरी पर लाने के लिए वॉटर सेस लगाने का फैसला किया था. वॉटर सेस की दर 0.06 से लेकर 0.30 रुपये प्रति घन मीटर तय की गई थी. इस फैसले के खिलाफ बीबीएमबी,एनटीपीसी,एनएचपीसी समेत कई अन्य कंपनियों ने हाईकोर्ट का रुख किया था.
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