
नई दिल्ली । पेरू (Peru) के मछुआरे (Fisherman) मैक्सिमो नापा कास्त्रो (Maximo Napa Castro) की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं। 7 दिसंबर को दो हफ्ते की रसद लेकर समंदर (Ocean) में उतरे मैक्सिमो को क्या पता था कि उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा इम्तिहान शुरू होने वाला है। शुरुआत के कुछ दिन सब ठीक रहा, लेकिन दस दिन बाद समंदर ने ऐसा तूफान मचाया कि मैक्सिमो को हजारों किलोमीटर दूर बहा ले गया। उसके घरवाले और पेरू की कोस्ट गार्ड ने खूब तलाश की मगर उसका और उसकी नाव का कोई सुराग न मिला।
मरने के कराग पर पहुंची हालत
समय बीतता गया, दिन महीनों में बदल गए। पूरे 95 दिन बाद, जब हर किसी ने मान लिया था कि मैक्सिमो अब जिंदा नहीं, तभी किस्मत ने पलटी मारी। इक्वाडोर की एक नौका ने उसे तट से 1094 किलोमीटर दूर ढूंढ निकाला। हालत इतनी खराब थी कि वह लगभग मरने की कगार पर था।
बचने के लिए उसने जो कुछ किया, वो दिल दहला देने वाला है। शुरुआत में तो बारिश का पानी इकट्ठा कर पीता रहा। खाने को कुछ नहीं मिला तो तिलचट्टे और पक्षियों को निगल लिया। फिर समुद्र में तैरते कछुओं का शिकार करने लगा। लेकिन आखिरी के 15 दिन ऐसे बीते कि उसके पेट में कुछ भी नहीं गया।
शख्स ने बनाई दिल दहला देने वाली दास्तान
मैक्सिमो ने बताया कि उसे जिंदा रहने की उम्मीद बस इसलिए थी क्योंकि उसे अपनी बूढ़ी मां और दो महीने की नवासी (पोती) का ख्याल आता था। उधर, उसकी मां ने तो लगभग मान ही लिया था कि वह अब इस दुनिया में नहीं रहा। मगर जब 95 दिन बाद खबर आई कि बेटा जिंदा है, तो मानो उनकी दुनिया फिर से संवर गई।
उसे पहले इक्वाडोर के पाइता शहर में मेडिकल चेकअप के लिए ले जाया गया, फिर वहां से विमान से पेरू की राजधानी लीमा पहुंचाया गया। 95 दिनों की यह लड़ाई सिर्फ एक इंसान के जिंदा रहने की कहानी नहीं, बल्कि इंसानी जज्बे की मिसाल भी है।
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