
नई दिल्ली । कारगिल युद्ध(kargil war) के एक पूर्व सैनिक(Ex-serviceman ) हकीमुद्दीन शेख(Hakimuddin Sheikh) के परिवार ने गंभीर आरोप(Serious allegations) लगाते हुए कहा है कि शनिवार देर रात 30 से 40 लोगों की भीड़ पुलिस के साथ उनके घर में घुस आई और उनसे भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज मांगे। पूर्वी पुणे के चंदननगर इलाके में यह घटना तब घटी जब पूरा परिवार सो रहा था।
58 वर्षीय हकीमुद्दीन शेख भारतीय सेना की 269 इंजीनियर रेजिमेंट में 1984 से 2000 तक 16 वर्षों तक सेवा दे चुके हैं। उन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध में भाग लिया था। मंगलवार को परिवार ने बताया कि यह सब देर रात करीब 11 बजे शुरू हुआ, जब दर्जनों लोग ‘संदिग्ध अवैध प्रवासियों’ का आरोप लगाकर दरवाजे पीटने लगे और दस्तावेजों की मांग करने लगे।
“3 बजे तक नागरिकता साबित नहीं की, तो बांग्लादेशी घोषित कर देंगे”
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, हकीमुद्दीन के भाई इरशाद शेख ने बताया, “वे लोग चिल्ला रहे थे, दरवाजे पर लात मार रहे थे, और घर की महिलाओं को डांट रहे थे कि उठो और कागज दिखाओ। एक व्यक्ति जो शायद सादा वर्दी में पुलिसकर्मी था, हालात को शांत करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन माहौल डरावना था। एक पुलिस वैन सड़क पर इंतजार कर रही थी।” परिवार ने आरोप लगाया कि पुरुष सदस्यों को आधी रात के बाद पुलिस स्टेशन ले जाया गया और धमकी दी गई कि अगर वे अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए, तो उन्हें “बांग्लादेशी” या “रोहिंग्या” घोषित कर दिया जाएगा।
पुलिस की सफाई: “जानकारी के आधार पर दस्तावेज मांगे, किसी को जबरन नहीं उठाया”
डीसीपी सोमैया मुंडे ने बताया कि यह कार्रवाई एक सूचना के आधार पर की गई थी जिसमें कहा गया था कि इलाके में कुछ अवैध प्रवासी रह रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमारे दल ने दस्तावेज मांगे और जब यह स्पष्ट हो गया कि वे भारतीय नागरिक हैं, तो उन्हें छोड़ दिया गया। हमारी टीम किसी बाहरी व्यक्ति के साथ नहीं थी। हमारे पास पूरी वीडियो फुटेज है।”
“मैंने देश के लिए लड़ाई लड़ी है, अब क्या हर बार हमें ही सबूत देना होगा?”
हकीमुद्दीन शेख ने कहा, “मैंने इस देश के लिए कारगिल में लड़ाई लड़ी है। मेरा पूरा परिवार यहीं का है। फिर हमसे बार-बार नागरिकता साबित करने को क्यों कहा जाता है?” उनके भाई इरशाद ने बताया कि परिवार 1960 से पुणे में रह रहा है, हालांकि हकीमुद्दीन 2013 में अपने पैतृक गांव प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) लौट गए थे। बाकी भाई और उनके परिवार आज भी पुणे में रहते हैं।
सेना के अन्य दिग्गज भी परिवार में शामिल
परिवार में दो और पूर्व सैनिक- शेख नईमुद्दीन और शेख मोहम्मद सलीम भी हैं जिन्होंने क्रमशः 1965 और 1971 के युद्धों में हिस्सा लिया था। इरशाद ने सवाल उठाया, “क्या देश के लिए खून बहाने वाले सैनिकों के परिवारों के साथ यही व्यवहार किया जाएगा?”
“आधार कार्ड दिखाने पर भी मजाक उड़ाया गया”
हकीमुद्दीन के भतीजे नौशाद और नवाब शेख ने आरोप लगाया कि उन्होंने आधार कार्ड दिखाए लेकिन भीड़ ने उन्हें ‘फर्जी’ कहकर मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा, “वे गुंडों की तरह व्यवहार कर रहे थे।” एक और भतीजे शमशाद शेख ने बताया कि उन्हें रविवार को दोबारा थाने बुलाया गया लेकिन दो घंटे इंतजार के बाद कहा गया कि इंस्पेक्टर नहीं आएंगे। हमारे दस्तावेज अभी भी पुलिस के पास हैं।
पुलिस कमिश्नर ने जांच का भरोसा दिया
पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा, “अगर पुलिस की तरफ से कोई लापरवाही पाई गई, तो कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल प्रारंभिक जांच से यह सामने आया है कि पुलिस ने जबरन घर में प्रवेश नहीं किया।”
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