
नई दिल्ली । शुभांशु शुक्ला का ड्रैगन यान (Shubhanshu Shukla’s Dragon Spacecraft) सफलतापूर्वक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंच गया (Successfully reached the ISS), वे 14 दिन अंतरिक्ष में रहेंगे (Will stay in space for 14 Days) । भारत ने 40 साल बाद यह कीर्तिमान दोहराया है। शुभांशु ऐसा करने वाले राकेश शर्मा के बाद भारत के दूसरे व्यक्ति बन गए हैं।
भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच दिया है। भारतीय वायु सेना के पायलट शुभांशु शुक्ला ने गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर सफलतापूर्वक कदम रखकर ऐसा करने वाले भारत के दूसरे व्यक्ति और पहले भारतीय बन गए, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक की यात्रा की। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु के अलावा पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्रियों ने भी 40 वर्षों से भी अधिक समय बाद एक नया इतिहास रचते हुए आईएसस में प्रवेश किया है। यह यात्रा अमेरिका की प्राइवेट अंतरिक्ष कंपनी स्पेसएक्स द्वारा संचालित एक चार्टर्ड मिशन के तहत हुई है।
इससे पहले अंतरिक्ष सफर पर निकले भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने स्पेसक्राफ्ट से भावुक संदेश भेजा है। उन्होंने “नमस्कार” के साथ अपनी बात की शुरुआत की। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर डॉकिंग से कुछ घंटे पहले उन्होंने कहा कि मैं अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ यहां आकर रोमांचित हूं। शुभांशु शुक्ला ने बुधवार को फ्लोरिडा से एक्सिओम-4 मिशन के तहत तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए अपना सफर शुरू किया था। इन अंतरिक्ष यात्रियों के भारतीय समयानुसार गुरुवार शाम साढ़े 4 बजे तक ‘आईएसएस’ पहुंचने की उम्मीद है। डॉकिंग से कुछ घंटे पहले एक्सिओम स्पेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट में मिशन से जुड़ा हुआ एक वीडियो शेयर किया। इसमें एक्सिओम स्पेस की टीम अंतरिक्ष यात्रियों से बात कर रही थी। भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम का हिस्सा ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने साथी यात्रियों के साथ अंतरिक्ष में होने के बारे में अपनी भावनाओं को व्यक्त किया।
शुभांशु शुक्ला ने कहा, “अंतरिक्ष से नमस्कार! मैं अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ यहां आकर रोमांचित हूं। ये कितना शानदार सफर था? मैं इस अवसर पर उन सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं जो इसका हिस्सा रहे हैं। मैं समझता हूं कि ये कोई व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये आप में से हर एक की सामूहिक उपलब्धि है जो इस यात्रा का हिस्सा रहे हैं और इसे संभव बना पाए हैं। साथ ही परिवार और दोस्तों के लिए… आपका समर्थन बहुत मायने रखता है।”
इस दौरान शुभांशु शुक्ला अपने साथ एक खिलौना (हंस) भी ले गए हैं। शुभांशु ने भारतीय परंपरा में ज्ञान के प्रतीक के रूप में हंस के सांस्कृतिक महत्व को समझाया। भारत के लिए ये मिशन ऐतिहासिक है, शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं और पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति हैं। अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय, विंग कमांडर राकेश शर्मा थे। शर्मा, अप्रैल 1984 में एक संयुक्त भारत-सोवियत मिशन के हिस्से के रूप में उड़ान भर चुके थे।
इस मिशन को मूल रूप से 29 मई को लॉन्च किया जाना था, लेकिन मौसम में गड़बड़ी और फिर फाल्कन-9 रॉकेट और ड्रैगन कैप्सूल के साथ तकनीकी समस्याओं की वजह से कई बार स्थगित करना पड़ा। नासा, स्पेसएक्स और एक्सिओम की टीमों ने सफल प्रक्षेपण से पहले विसंगतियों को दूर करने में करीब एक महीना लगाया।
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