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बोफोर्स घोटाले की जांच को फिर से शुरु करने के संकेत, भारत सरकार ने अमेरिका से मांगी नई जानकारी

March 05, 2025

नई दिल्ली । भारत (India)ने अमेरिका (America)को एक अनुरोध भेजा है, जिसमें 64 करोड़ रुपये के बोफोर्स घोटाले(Bofors Scandal) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी की मांगी(asked for important information) गई है। भारत सरकार के इस नए कदम से स्वीडन से 155 मिमी फील्ड आर्टिलरी गन्स की खरीद को लेकर राजीव गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के तहत हुए इस घोटाले की जांच को फिर से शुरू करने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा है कि सीबीआई ने हाल ही में एक विशेष अदालत द्वारा जारी पत्र अमेरिकी न्याय विभाग को भेजा। इस पत्र में एजेंसी ने अमेरिकी निजी जासूसी कंपनी फेयरफैक्स के प्रमुख माइकल हर्शमैन से जुड़ी जानकारी की मांग की है।


2017 में हर्शमैन ने दावा किया था कि तब के प्रधानमंत्री राजीव गांधी गुस्से में थे जब उन्होंने स्विस बैंक खाते मॉन्ट ब्लांक का पता लगाया, जहां बोफोर्स से रिश्वत की रकम कथित रूप से जमा की गई थी। हर्शमैन ने यह भी कहा था कि उस समय की सरकार ने उनकी जांच को नाकाम कर दिया था।

सीबीआई ने पहली बार अक्टूबर 2024 में दिल्ली की अदालत से संपर्क किया था, जिसमें उन्हें अमेरिकी अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करने के लिए मंजूरी देने का अनुरोध किया था। यह कदम उस समय उठाया गया था जब हर्शमैन ने भारतीय एजेंसियों के साथ सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की थी। आपको बता दें कि पत्र रोगारिटरी एक औपचारिक लिखित अनुरोध होता है, जिसे एक देश की अदालत दूसरे देश की अदालत से एक आपराधिक मामले की जांच में सहायता प्राप्त करने के लिए भेजती है।

क्या है बोफोर्स घोटाला?

बोफोर्स घोटाला को स्वीडिश रेडियो ने उजागर किया था। यह 1989 के चुनावों में राजीव गांधी की हार का एक प्रमुख कारण बना था। हालांकि 2004 में दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ रिश्वत के आरोप को खारिज कर दिया था, लेकिन इस घोटाले से जुड़े सवाल अब भी बने हुए हैं। इसमें इटली के व्यापारी ओटावियो क्वात्रोची का भी संदिग्ध रोल था, जो राजीव गांधी सरकार में काफी प्रभावशाली था। क्वात्रोची को जांच के दौरान भारत छोड़ने की अनुमति दी गई थी और वह मलेशिया चला गया था।

क्वात्रोची पर ध्यान तब फिर से केंद्रित हुआ जब यूपीए सरकार ने ब्रिटेन में उसके बैंक खाते से लाखों डॉलर की रिलीज को चुनौती देने से इनकार कर दिया। 1987 में स्वीडिश पब्लिक ब्रॉडकास्टर ने भारत और स्वीडन दोनों को चौंका दिया था जब उन्होंने होवित्जर डील में रिश्वत के भुगतान का खुलासा किया था।

सीबीआई ने 1990 में इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी और 1999 और 2000 में चार्जशीट दाखिल की थी। राजीव गांधी को बरी करने के बाद विशेष अदालत ने अन्य आरोपियों, जिनमें हिंदुजा बंधु भी शामिल थे, के खिलाफ सभी आरोप हटा दिए थे। 2011 में क्वात्रोची को भी बरी कर दिया गया। अदालत ने सीबीआई की याचिका को मंजूरी दी और उसकी खिलाफ की गई कार्रवाई को वापस ले लिया।

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