
कोलकाता। पश्चिम बंगाल (West Bengal) में मतदाता सूची (Voter List) के गहन पुनरीक्षण के तहत शनिवार से सुनवाई शुरू होगी। इसके लिए पूरे राज्य (State) में 3,234 केंद्र बनाए गए हैं। राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (Chief Electoral Officer) कार्यालय के अधिकारियों ने कहा कि यह कार्यवाही जिला मजिस्ट्रेट कार्यालयों, उप विभागीय कार्यालयों, विभिन्न सरकारी विभागों और विद्यालयों और कॉलेजों में संचालित होगी। पहले चरण में 32 लाख लोगों की सुनवाई होगी। ये 32 लाख लोग वो हैं, जिनका नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं मिला था। राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय के अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि वोटरों की पहचान और पते के सबूत के तौर पर आधार सहित 12 मान्यता प्राप्त दस्तावेज में से कोई भी दस्तावेज जमा किए जा सकते हैं।
हालांकि चुनाव आयोग ने साफ किया है कि आधार कार्ड को अकेले दस्तावेज के तौर पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। निर्वाचन अधिकारी ने बताया, ‘बिहार में हाल ही में एसआईआर प्रक्रिया के दौरान तैयार की गई मतदाता सूची को भी मान्य दस्तावेज माना जाएगा। हालांकि, नकली या जाली दस्तावेज जमा करना दंडनीय अपराध माना जाएगा।’ राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल ने कहा कि सुनवाई के लिए सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं।
उन्होंने कहा, ‘यह प्रक्रिया 4,500 से ज्यादा माइक्रो-ऑब्जर्वर की देखरेख में होगी, और सुनवाई केंद्रों पर सिर्फ ईआरओ, एआरओ, बीएलओ और ऑब्जर्वर जैसे अधिकृत अधिकारियों को ही इजाजत होगी।’ चुनाव आयोग ने कहा कि एक बार सुनवाई केंद्र और नियम तय हो जाने के बाद कोई बदलाव नहीं किया जाएगा, और ये कदम रिवीजन प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए हैं। आयोग ने हर ईआरओ के लिए रोज 150 मामलों की सुनवाई पूरी करने का लक्ष्य तय किया है।
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