
लखनऊ. नेपाल (Nepal) में बने विदेशी मंदिरों (Exotic temples) से भी स्लीपर सेल (Sleeper cells) को फंडिंग की जा रही है। हाल ही में महराजगंज जिले से सटे भगवान बुद्ध (Lord Buddha) की जन्मस्थली लुंबिनी (Lumbini) में ऐसी गतिविधि सामने आई है, जहां चीन की एक संस्था तराई क्षेत्र में समाज कल्याण के नाम पर युवाओं को पैसे मुहैया करा रही है। इसके लिए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने नेपाल से मदद मांगी है। बहराइच से लगे नेपालगंज के मदरसे में तुर्किए की संस्था आईएचएच ने इस वर्ष करीब 20 करोड़ का फंड मुहैया कराया है। इस मदरसे से श्रावस्ती के भी कुछ लोगों का जुड़ाव मिला है।
दिल्ली धमाके में तुर्किए की संलिप्तता के बाद नेपालगंज में आईएचएच की बढ़ी सक्रियता से सुरक्षा एजेंसियों ने चौकसी बढ़ाई है। नेपाल सीमा पर काम कर चुके पूर्व आईबी अधिकारी संतोष सिंह बताते हैं कि तुर्किए के इस कट्टरपंथी एनजीओ के तार शादत से जुड़े हैं, जिसका असल काम जिहादियों की भर्ती और फिर उन्हें प्रशिक्षित करना है। सीरिया, कतर, ब्रिटेन और अमेरिका तक की आतंकी गतिविधियों में शादत की संलिप्तता मिली है।
दिल्ली धमाके के बाद सफेदपोश आतंकवाद की जांच में जुटी सुरक्षा एजेंसियों को भी विदेशी मंदिरों और मदरसों से स्लीपर सेल की फंडिंग की जानकारी मिली है। इसे पाकिस्तान की आईएसआई व चीन की खुफिया एजेंसी मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (एमएसएस) का बदले पैंतरा माना जा रहा है। इसी इनपुट के आधार पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बहराइच व श्रावस्ती में भी बीते सप्ताह दो ठिकानों को खंगाला है। महराजगंज के एक पूर्व नगर निकाय अध्यक्ष की भी जानकारी जुटाई गई है।
ये शहर और जिले भी संवेदनशील
अभी तक की जांच में संतकबीरनगर का मेहदावल, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, बहराइच, सुल्तानपुर, बलरामपुर, महराजगंज, बरेली, रायबरेली, गोंडा के साथ ही बाराबंकी बेहद संवेदनशील है। इनमें बरेली, रायबरेली और महराजगंज में लश्कर-ए-ताइबा का नेटवर्क सामने आ चुका है।
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