
इंदौर। स्मार्ट सिटी द्वारा इंदौर में पेड़ों की गणना करवाई जा रही है और साथ ही 5 साल की कार्य योजना भी तैयार की गई है, जिसमें गणना से मिले पेड़ों के रख-रखाव से लेकर भविष्य के प्लांटेंशन सहित अन्य योजना भी बनाई जाएगी। अभी तक 50 फीसदी पेड़ों की गणना हो चुकी है और लगभग साढ़े 4 लाख पेड़ों की गिनती की जा चुकी है और अब इन सभी का दस्तावेजीकरण भी किया जा रहा है। टेंडर के बाद निजी फर्म को इस सर्वे की जिम्मेदारी दी गई है। सरकारी से ज्यादा निजी जमीनों पर पेड़ प्राप्त हुए हैं। वहीं 50 साल से अधिक उम्र वाले पेड़ों को हेरीटेज श्रेणी में रखा जाएगा। इंदौर में हर साल हरियाली महोत्सव के चलते लाखों पौधे रोपे जाते हैं।
स्मार्ट सिटी में 5 साल का यह कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें पौधारोपण से लेकर पेड़ों की कटिंग,ट्रीमिंग सहित उनके रख-रखाव पर भी काम किया जाएगा और सभी पेड़ों की जियो टैगिंग भी होगी, ताकि अवैध रूप से कटाई रोकी जा सके और एक नियमित अंतराल पर इन पेड़ों की गणना भी हो। अलग-अलग क्षेत्रों में लगे पेड़ों को चिन्हित भी किया जा रहा है और उनका बकायदा रिकॉर्ड भी रहेगा। शहर में ऐसे कितने स्थान हैं जहां पर पौधारोपण किया जा सकता है डेंस फॉरेस्ट की परिकल्पना को साकार कर सकते हैं। जिस कम्पनी को यह काम दिया है वह पेड़ों की गणना के साथ-साथ उसके रख-रखाव और उसकी प्रजाति सहित हर मामले की मैपिंग भी करेगी। अभी तक लगभग साढ़े 4 लाख पेड़ों की गिनती की जा चुकी है, जिसमें 50 फीसदी एरिया भी शामिल है। यानी एक अनुमान है कि इंदौर में 10 लाख से अधिक पेड़ होंगे, जो कि विभिन्न प्रजातियों के हैं। इनमें 3 लाख से ज्यादा पेड़ तो स्वदेशी ही हैं, जिनमें नीम, आम, बबूल, पीपल से लेकर अन्य श्रेणी के हैं, जबकि लगभग डेढ़ लाख विदेशी प्रजाति के भी पेड़ पाए गए हैं। लगभग पौने 4 लाख स्क्वेयर किलो मीटर के क्षेत्रफल में अभी तक यह सर्वे किया जा चुका है, जिसमें ढाई लाख पेड़ तो निजी जमीनों पर मिले हैं। जबकि 75 हजार से अधिक सरकारी जमीनों पर और 30 हजार से ज्यादा उद्यानों यानी बगीचों में मौजूद हैं, तो सडक़ किनारे, फुटपाथों और अन्य जगह भी हजारों की संख्या में ये पेड़ लगे हैं। 50 साल से अधिक उम्र वाले जो पेड़ हैं उन्हें हेरीटेज श्रेणी में रखा गया है। 1 लाख से अधिक पेड़ ऐसे हैं जिनकी लकड़ी फर्नीचर सहित अन्य कामों में इस्तेमाल होती है, तो लगभग इतने ही पेड़ ऐसे हैं जो सजावटी रहते हैं। वहीं 85 हजार से अधिक पेड़ फलों के भी हैं, जिनमें आम, जामुन से लेकर अन्य फलों के पेड़ हैं। वहीं इंदौर में हजारों पेड़ों की कटाई भी विकास कार्य के चलते की गई।
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