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किसी ने कहा- सिर में कील ठोक लो तो मैंने ठोक ली, 21 साल के युवक की हरकतों का ऐसे खुला राज

July 26, 2025

नई दिल्‍ली । कोई मेरे कान में कुछ न कुछ बोलता रहता है.. उसी ने कहा कि अपने सिर में कील ठोक लो। मैंने नहीं ठोकी तो बार-बार कहने लगा। पहले धीरे से कहता था फिर जोर-जोर से कहने लगा। मैं क्या करता.. ठोक ली। हैलट पीजीआई के न्यूरो विभाग में भर्ती फतेहपुर का साइकोसिस रोगी 21 साल का विजय कुछ पूछने पर यही बड़बड़ाता है। 17 जुलाई को उसने अपने सिर में चार इंच लंबी कील ठोक ली थी। डॉक्टर इसे नशे के बेइंतहा इस्तेमाल और न्यूरोकेमिकल्स की गड़बड़ी का केस बता रहे हैं। ऐसे रोगियों को कई बार गांवों में भूत-प्रेत, जादू-टोने का शिकार मान लिया जाता है। डॉक्टरों के मुताबिक अब उसकी हालत में सुधार है।

त्वचा, हड्डी और तीन सुरक्षा लेयर को भेदते हुए घुसी


न्यूरो विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष सिंह की देखरेख में विजय का ऑपरेशन हुआ है। चार इंच की कील उसके सिर के बीचो-बीच धंसी थी। सिर की त्वचा, हड्डी और दिमाग की तीन सुरक्षा लेयर यानी ड्यूरा, अराकनॉइड और पिया मेटर को भेदते हुए कील नसों तक पहुंच गई थी। ड्यूरा सबसे बाहरी लेयर है जो ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड को सुरक्षा प्रदान करती है। इंसान दर्द का अनुभव ड्यूरा लेयर तक ही कर पाता है। अराकनॉइड और पिया मेटर पर चोट से दर्द महसूस नहीं होता है।

ड्रिल मशीन से सिर के ऊपरी हिस्से को काटा

यह मुश्किल सर्जरी थी। डॉ. मनीष बताते हैं-कील निकालने के लिए सिर पर ड्रिल मशीन चलानी पड़ी। एक हिस्सा काटना पड़ा। आसपास नसों का गुच्छा होने के कारण बेहद सावधानी से सर्जरी की। कील की वजह से नसों के फैलाव में अंतर आ गया है।

अधिक नशे से पागलपन, साइकोसिस से सुनाई देतीं आवाजें

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभागाध्यक्ष डॉ. धनजंय चौधरी कहते हैं कि अधिक शराब या नशा करने से व्यक्ति पागलपन का शिकार होकर साइकोसिस की चपेट में आ जाता है। साइकोसिस पीड़ित की धारणा विकृत हो जाती है। इसमें रोगी यथार्थ और कल्पना के बीच अंतर नहीं कर पाता। वह भ्रमित, विक्षिप्त विचार और असामान्य व्यवहार करने लगता है। उसके कानों में आवाजें आने लगती हैं। अत्यधिक तनाव और नींद की कमी साइकोसिस को बढ़ावा दे सकती है।

मिर्गी से पता चला वरना बालों में छिपी ही रहती

सिर में कील ठोकने के बाद विजय ने किसी को नहीं बताया था। उसे मिर्गी के दौरे आने शुरू हुए तो परिजन डॉक्टर के पास गए। वहां सारा मामला सामने आया। उसे 17 जुलाई को हैलट लेकर आए। विजय के पिता घूरे ने बताया कि वह दिल्ली में मजदूरी करता था। नशे की लत लग गई। ढाई माह पहले ही वह फतेहपुर स्थित घर आ गया। घूरे और उसका छोटा बेटा अजय बेंगलुरु में मजदूरी करते हैं।

इन लक्षणों पर दें ध्यान

– व्यक्ति को ऐसी चीजें दिखाई या सुनाई देती हैं जो वास्तव में हैं नहीं

– व्यक्ति का व्यवहार अजीब और अचानक बदला हुआ लगने लगे

– कम नींद के साथ चिड़ाचिड़ापन और बार-बार गुस्सा आने लगे

– लगातार नशे का सेवन और खानपान पर बिल्कुल ध्यान नहीं देना

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