
सूर्य ग्रहण भी रहेगा लेकिन भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इसकी धार्मिक मान्यता नहीं
इन्दौर। अगहन मास मार्गशीर्ष आगामी 14 दिसंबर सोमवार को 57 साल बाद पंचग्रही युति योग में सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, ध्यान और दान पुण्य का खासा महत्व रहेगा ।
धर्म शास्त्रों के अनुसार पंचग्रही युति में अमावस्या पर स्नान व दान, पुण्य का विशेष फल प्राप्त होता है। मार्गशीर्ष मास की अमावस्या सोमवार के दिन पांच ग्रहों के युति योग में आ रही है। इस प्रकार का संयोग कभी कभार सालों में बनता है। ज्योतिष गणना से देखें तो वर्तमान ग्रह गोचर में शनि गुरु मकर राशि में गोचरस्थ हैं। मकर वर्ष गणना से देखें तो यह स्थित 57 साल बाद बन रही है। वर्ष-1963 में पंचांग के 5 अंग जैसे थे वैसे ही 2020 में अमावस्या तिथि, जेष्ठा नक्षत्र, शूल योग, चतुष्पद करण, वृश्चिक राशि का चंद्रमा, यह अपने आप में विशिष्ट माने जाते हैं।
सूर्यग्रहण भी पर भारत में मान्य नहीं रहेगा
सोमवती अमावस्या पर विदेशों में सूर्यग्रहण रहेगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देने से मान्य नहीं है। 14 दिसंबर का सूर्यग्रहण विदेशों में नजर आएगा। भारत में यह दिखाई नहीं देगा, जो ग्रहण दृश्य नहीं होता है उसकी कोई धार्मिक मान्यता नहीं रहती है। सुतक भी नहीं लगता है ।
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