
डेस्क: कांग्रेस (Congress) की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने इजराइल (Israel) और फिलिस्तीन (Palestine) के संघर्ष को लेकर केंद्र सरकार (Central Government) के रुख की तीखी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि भारत को फिलिस्तीन मुद्दे पर आगे आकर बोलना चाहिए. कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि इस मुद्दे पर सरकार की ‘गहरी चुप्पी’ मानवता एवं नैतिकता दोनों का परित्याग है.
कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने गुरुवार को इंग्लिश अखबार के एक आर्टिकल में लिखा कि केंद्र सरकार द्वारा लिए फैसले भारत के संवैधानिक मूल्यों या उसके हितों को लेकर नहीं होते बल्कि वह दोस्ती के आधार पर किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि इसी तरह फिलिस्तीन मुद्दे पर केंद्र सरकार की चुप्पी का कारण इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दोस्ती है.
सोनिया गांधी ने आर्टिकल में इजराइल और भारत के साथ-साथ मोदी और ट्रंप की दोस्ती पर भी निशाना साधा. उन्होंने लिखा कि केंद्र सरकार की व्यक्तिगत कूटनीति की यह शैली सही नहीं है और यह भारत की विदेश नीति का मार्गदर्शक बिल्कुल नहीं बन सकती. उन्होंने कहा कि इसका परिणाम केंद्र सरकार ने अभी हाल ही में देखा है, जब अमेरिका ने उनकी दोस्ती के प्रयास को बुरी तरह विफल कर दिया है.
कांग्रेस नेता ने जोर देते हुए कहा कि भारत ने कई सालों तक फिलिस्तीन मुक्ति संगठन का समर्थन किया था, जिसके बाद 8 नवंबर, 1988 को भारत ने औपचारिक रूप से फलस्तीनी राष्ट्र को मान्यता दी थी. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे भारत ने आजादी से पहले ही दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद का मुद्दा उठाया था और अल्जीरियाई स्वतंत्रता संग्राम (1954-62) के दौरान भी भारत ने अल्जीरिया का समर्थन किया था. इतना ही नहीं, बांग्लादेश और पाकिस्तान के 1971 के युद्ध में भारत ने हस्तक्षेप करके बांग्लादेश को पूर्ण समर्थन दिया था और उसे अलग देश बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
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