
सिर पे हेट, चेहरे पे सफेद दाढ़ी। दिखने में ये इंसान किसी फिलासफर जैसा नजर आता हे…। जि़क्रे खैर हो रिया हे अपने सुनील दुबे साब का। वैसे भोपाल के बाशिंदे इने वृक्ष मित्र के नाम से पेचानते हैं। वृक्ष मित्र बोले तो दरख्तों का दोस्त। बाकी ये लकब बी इने एसेई नई मिल गिया भाई मियां। इसकी बी एक कहानी हे। मियां खां केते हैं के ये इनकी दूसरी जिंदगी हे। ये तो मेडिकल साइंस का भोत बड़ा अजूबा हे के जिंदा खड़े हुए हैं। साल 2008 में इने ब्रेन ट्यूमर का पता चला। ट्यूमर बी खां टेनिस बॉल की साइज का। भाई फोरन बांबे भगे। बांबे हॉस्पिटल के डाक्टरों ने साफ के दिया… देखो साब ट्यूमर भोत बड़ा हे। जान का जोखम जादा हे। बच गए तो तुमारी किस्मत वर्ना मौत तो बरहक है। सुनील भाई ने इन पार या उस पार के फलसफे पे यकीन करते हुए डाक्टरों से के दिया के आप तो बिस्मिल्ला करो…जो होगा सो देखा जाएगा। बॉम्बे में एक विलायती सर्जन ने इनका आप्रेशन करके ट्यूमर हेड़ दिया। ऊपर वाले ने जान बक्श दी तो भाई ने अपनी बाकी जिंदगी पर्यावरण बचाने में खर्च करने का खुद से वादा कर लिया। इन्ने तय करा के अपनी पूरी तनखा और रिटायरमेंट के बाद पूरी पेंशन व्रक्षारोपण में खर्च करेंगे। दो बरस पेले ये पीएचई से ट्रेसर के ओहदे से सुबुकदोष (रिटायर) हुए हैं। माशा अल्लाह 27 हजार रुपे पेंशन मिल्लई हे। इस पूरी रकम को ये वृक्षारोपण और जरूरतमंदों की मदद में खर्च कर देते हैं। पेड़ बचाने के लिए लोगों को जागरूक करने की अपनी मुहिम में ये दिलो जान से लग गए हैं। इन 14 बरसों में सुनील भाई 4 लाख 28 हजार पौधे लोगों को तकसीम कर चुके हैं। बाकी करीब सवा तीन लाख से ज्यादा पौधे तमाम लोगों से रोपित करवा चुके हैं। अस्पतालों, स्कूलों और दफ्तरों, कारखानों में ये दरख्तो का दोस्त पोधे लगवाता दिख जाएगा। किसी भी जाने अंजाने इंसान की सालगिरा हो, शादी की सालगिरा हो या किसी अल्ला को प्यारे हो चुके इंसान की याद में पौधे लगवाना हो, सुनील भाई फोरन अपनी कार या स्कूटर में पौधे रख के पहुंच जाते हैं। ये अक्सर विलुप्त किस्मों के पौधे लोगों से लगवाते हैं। इसका कोई पैसा नहीं लेते। सिंदूर, खाकर, पीला पलाश, धतूरा, पारस पीपल, महुआ, खिरनी, तेंदू, हर्र बहेड़ा के लाखों पौधे ये लगवा चुके हैं। मुल्क की 6 स्टेटों में ये इस मिशन को चला रहे हैं। इसके अलावा सुनील भाई 19 बच्चियों को उनकी पढ़ाई में मदद कर रहे हैं। आपकी इस फरिश्ता सिफत शख्सियत को सूरमा का सलाम।
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