
भोपाल में खां आम नई होते। ऐसा हे मियां के इस शहर का हर बंदा खास हेगा तो आम वाम का कोई मसलाई नई पाला भोपालियों ने। चलो ये तो हुई मजाक वाली बात। फिलवक्त ओरिजनल भोपाल के किसी आम की किस्म इत्ती मशहूर नहीं है कि जिसका जिक्र किया जाए। अमूमन भोपाल में आमों की आवक मलीहाबाद, लखनऊ, अवध के खित्तों, बिहार के शहरों या महाराष्ट्र के इलाकों से होती है। भोपाल में हाल फिलहाल आमों का सीजन उरूज पे हेगा। गोया के हर खास ओ आम इन दिनों आमों से लुत्फ अंदोज हुआ जा रिया हे। दशहरी, चौसा, लंगड़ा, फजली, तोता परी की इन दिनों बहार है। पुराने दौर में हिंदुस्तान में नवाबों और रजवाड़ों में आमों और उसकी किस्मों को लेकर खासा जुनून देखा जाता था। लिहाजा रियासते भोपाल भी बतौर ए खास आम की एक किस्म को लेकर जानी जाती थी। वक्त, मौसम की वजह से नवाबी दौर का वो आम अपने वजूद को कायम रखने में लगा हुआ है। भोपाल नवाब हमीदुल्ला खां साहब के जमाने में भोपाल का दैय्यड़ आम अपने शबाब पे था। ये खालिस भोपाली आम था। छोटे साइज़ का मिठास से भरपूर दैय्यड़ आम जिस घर में रखा होता था, तब उसकी खुशबू आस पास के घरों में जाया करती। दैय्यड़ आम का एक किस्सा अभिनेता दिलीप कुमार से भी जुड़ा हे। तकरीबन 40 बरस पेले दिलीप साब भोपाल आए थे। उन्ने दैय्यड़ आम खाने की ख्वाइश करी थी। एक्टर ने अहमदाबाद पैलेस जाकर इस आम को खाने का लुत्फ लिया था। नवाबी दौर में जब शहर के बागों में बहार हुआ करती थी तब दैय्यड़ आम के पेड़ भी खासी तादात में हुआ करते थे। बाद में शहर की बेतरतीब बड़वार, आबोहवा में बदलाव के चलते दैय्यड़ लुप्त होता चला गया। भोपाल के बाशिंदे शादाब अली सैय्यद ने कहीं लिखा था कि नवाब हमीदुल्ला खां के एडीसी रहे कैप्टन असदुल्लाह खां के अहमदाबाद पैलेस वाले बंगले में दैय्यड़ आम के तीन पेड़ आज भी हैं। बताया जाता है की इसके 2 पेड़ इंपीरियल सेबरे में भी हैं। कैप्टन साब के फरजंद जो गार्डन आफीसर थे और पोते फराज खान ने दैय्यड़ की ग्राफ्टिंग और बडिंग के ज़रिए दैय्यड़ के कदीमी दरख्तो को सहेजा हुआ है। इस एक आम की कीमत 30 से 50 रुपए तक बताई जाती है। सरकार के हार्टिकल्चर महकमे को चाहिए कि वो ओरिजनल भोपाली दैय्यड़ आम की किस्म को बचाने की कोशिश करे टाकी आम भोपाली भी इस खास आम को खा सके।
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