
नई दिल्ली । दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में ऑस्ट्रेलिया और चीन (Australia and China) के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। एक ऑस्ट्रेलियाई निगरानी विमान (plane) के पास चीनी लड़ाकू जेट (Chinese fighter jets) द्वारा फ्लेयर्स गिराए जाने की घटना के बाद, ऑस्ट्रेलिया ने सोमवार को बीजिंग के विरुद्ध कूटनीतिक विरोध जताया। ऑस्ट्रेलियाई प्रसारण निगम (एबीसी) की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बलों (एडीएफ) और चीनी सेना के बीच लगातार हो रही टकरावों की नई घटना है। रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस ने स्पष्ट किया कि इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन उन्होंने चीन की इस कार्रवाई को ‘असुरक्षित और अपेशेवर’ बताया।
सूत्रों ने मार्लेस के हवाले से कहा कि ऑस्ट्रेलियाई पी-8 निगरानी विमान दक्षिण चीन सागर के ऊपर नियमित गश्त कर रहा था, तभी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का एक फाइटर जेट उसके निकट पहुंच गया। मार्लेस ने जोर देकर कहा कि ऑस्ट्रेलिया ऐसी मुठभेड़ों को जानबूझकर सार्वजनिक कर रहा है, क्योंकि यह चीन की सेना के जोखिम भरे व्यवहार के खिलाफ सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। वहीं, चीनी सरकारी मीडिया ने बताया कि पिछले महीने एक कनाडाई युद्धपोत और एक ऑस्ट्रेलियाई विध्वंसक ने ताइवान जलडमरूमध्य को पार किया था, जिस पर बीजिंग ने तीखा विरोध दर्ज कराया था।
सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, चीनी सैन्य इकाइयों ने इस पारगमन पर सख्त निगरानी रखी। ग्लोबल टाइम्स ने पीएलए के पूर्वी थिएटर कमांड के प्रवक्ता सीनियर कर्नल शी यी के बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि इस यात्रा ने भ्रमित करने वाले संकेत दिए और सुरक्षा जोखिम को बढ़ाया, और सेना हमेशा उच्च सतर्कता बरतती है और चीन की राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा तथा क्षेत्रीय शांति व स्थिरता की दृढ़ता से रक्षा करेगी। दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज सोमवार को वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे।
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