
नई दिल्ली । जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (District Consumer Disputes Redressal Commission) ने एयरलाइन कंपनी स्पाइसजेट (Airline company SpiceJet) को एक यात्री को 55,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है, क्योंकि आयोग ने पाया कि 14 घंटे की उड़ान देरी के लिए ‘एक बर्गर और फ्रेंच फ्राई’ अपर्याप्त व्यवस्था थी। आयोग (मुंबई उपनगर) के अध्यक्ष प्रदीप कडू और सदस्य गौरी एम. कापसे ने पिछले सप्ताह यह आदेश पारित किया, जिसका विवरण सोमवार को उपलब्ध हुआ।
आयोग ने कहा कि देरी ‘‘तकनीकी खराबी के कारण’’ हुई और एयरलाइन ‘‘आगे की यात्रा और उड़ान के रवाना होने तक अपने यात्रियों की देखभाल के अपने कर्तव्य से बच नहीं सकती।’’ आयोग ने कहा कि एयरलाइन केवल यह कहकर खुद का बचाव नहीं कर सकती कि उड़ान के पुनर्निर्धारण, रद्द किए जाने और देरी आदि सामान्य बातें हैं।
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने कहा, ‘ऐसी स्थिति में भोजन, जलपान, पानी और आवश्यक विश्राम क्षेत्र की पर्याप्त व्यवस्था आवश्यक है। यात्रियों को पूरी जानकारी दी जानी चाहिए। इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि 14 घंटे से अधिक की देरी के दौरान यात्रियों को केवल एक बर्गर और फ्रेंच फ्राई दिए गए।’
आयोग ने कहा कि चूंकि एयरलाइन सेवा में कमी से जुड़े तथ्य पेश करने में विफल रही, इसलिए यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि उसके द्वारा की गई व्यवस्थाएं अपर्याप्त थीं। शिकायतकर्ता ने 27 जुलाई 2024 के लिए दुबई से मुंबई तक की यात्रा के वास्ते स्पाइसजेट की एक उड़ान में टिकट बुक किया था। लेकिन इस उड़ान में ‘‘अत्यधिक देरी’’ हुई।
शिकायत के अनुसार, स्पाइसजेट ने इस लंबी देरी के दौरान पर्याप्त सुविधाएं मुहैया नहीं की और केवल एक बार ‘‘बर्गर और फ्रेंच फ्राई’’ की पेशकश की, जिसके बारे में उन्होंने तर्क दिया कि यह नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के दिशानिर्देशों, विशेष रूप से नागरिक उड्डयन आवश्यकताओं (सीएआर) का उल्लंघन है।
शिकायतकर्ता ने कहा कि इन दिशानिर्देशों में यह प्रावधान है कि एयरलाइन को यात्रियों को प्रतीक्षा समय के आधार पर भोजन और जलपान उपलब्ध कराना होगा, और जरूरत पड़ने पर, एक निश्चित अवधि की देरी होने पर होटल में ठहरने की व्यवस्था भी करनी होगी।
वहीं दूसरी ओर, स्पाइसजेट का तर्क था कि देरी ‘‘परिचालन और तकनीकी कारणों’’ से हुई थी और इसलिए इसमें एयरलाइन कुछ करने की स्थिति में नहीं थी। उसने सीएआर के उन प्रावधानों का भी हवाला दिया जो तकनीकी खराबी जैसी ‘‘असाधारण परिस्थितियों’’ में एयरलाइनों को छूट देते हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने कहा कि यदि एयरलाइन यह कहती है कि उसने सभी उचित कदम उठाए हैं, तो इसे साबित करना होगा।
हालांकि, आयोग ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता द्वारा कष्ट, तनाव, असुविधा, मानसिक और शारीरिक थकान के लिए 4,00,000 रुपये के मुआवजे के दावे के वास्ते ‘‘कोई पर्याप्त और पर्याप्त कारण’’ नहीं हैं। इसने कहा कि शिकायतकर्ता ने भोजन आदि की खरीद पर हुए खर्च का कोई विवरण और प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है।
मामले के तथ्यों पर विचार करते हुए, आयोग ने फैसला सुनाया कि यात्री को हुए खर्च और मानसिक पीड़ा के लिए 50,000 रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए। आयोग ने एयरलाइन को शिकायतकर्ता को मुकदमे की लागत के रूप में 5,000 रुपये देने का भी निर्देश दिया।
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