
नई दिल्ली: राज्यों (State) ने एक बार फिर केंद्र सरकार (Central Government) से टैक्स (Tax) में हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग की है. यह जानकारी वित्त आयोग (Finance Commission) के मौजूदा चेयरमैन ने दी. 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया (Arvind Panagariya) ने बुधवार को कहा कि देश के 28 में से 20 से अधिक राज्यों ने आयोग से केंद्र और राज्यों के बीच टैक्स वसूली की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 50 फीसदी करने का आग्रह किया है. राज्यों का मकसद है कि उन्हें भी केंद्र की ही तरह टैक्स वसूली में आधी हिस्सेदारी मिले.
देश के विभिन्न राज्यों में परामर्श यात्रा के तहत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचे 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन पनगढ़िया ने कहा कि वर्तमान में राज्यों को कर राजस्व का 41 फीसदी हिस्सा मिलता है, जबकि बाकी 59 फीसदी हिस्सा केंद्र के पास जाता है. पनगढ़िया ने कहा कि पिछले वित्त आयोग ने राज्यों के लिए कर राजस्व में 41 फीसदी हिस्सा और केंद्र के लिए 59 प्रतिशत निर्धारित किया था, जिसे अब बराबार किए जाने की मांग उठने लगी है.
वित्त आयोग के चेयरमैन ने कहा कि अन्य राज्य सरकारों की तरह उत्तर प्रदेश सरकार ने भी राजस्व में हिस्सेदारी को मौजूदा 41 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी करने की मांग की है. देश के 28 में से 22 से अधिक राज्यों ने यही मांग की है. हालांकि, उन्होंने यह बताने से इनकार कर दिया कि राष्ट्रपति को भेजी जाने वाली वित्त आयोग की सिफारिशों में इसे शामिल किया जाएगा या नहीं. पनगढ़िया ने कहा कि अभी तक यह परंपरा रही है कि वित्त आयोग की सिफारिशों को यथावत स्वीकार किया जाता था, लेकिन अब इसे जरूरत के हिसाब से ही मंजूरी दी जाती है.
16वें वित्त आयोग का गठन संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत 31 दिसंबर, 2023 को किया गया था. इसका प्राथमिक कार्य एक अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच साल की अवधि के लिए केंद्र और राज्यों के साथ-साथ राज्यों के बीच कर राजस्व के वितरण की सिफारिश करना है. आयोग द्वारा 31 अक्टूबर, 2025 तक अपनी रिपोर्ट पेश किए जाने की संभावना है. इसकी सिफारिशें वर्ष 2026-27 से 2030-31 तक के लिए होंगी.
पिछले महीने यानी मई में हुई कुल जीएसटी वसूली में केंद्र सरकार को 35,434 करोड़ रुपये मिले, जबकि राज्य का हिस्सा 43,902 करोड़ रुपये रहा है. इसके अलावा एकीकृत जीएसटी लगभग 1.09 लाख करोड़ रुपये रहा. इसमें उपकर से राजस्व 12,879 करोड़ रुपये रहा है. इस तरह, मई में कुल जीएसटी वसूली 1,72,739 करोड़ रुपये थी. एकीकृत जीएसटी में राज्यों को भी हिस्सा मिलता है और इसी हिस्से को राज्यों ने बढ़ाकर आधा-आधा करने की बात कही है.
अभी राज्यों को आर्थिक रूप से कोई परेशानी होने पर केंद्र उनकी सहायता करता है, लेकिन उसकी टैक्स की कमाई कम होने पर इसके लिए बजट में कमी आएगी. इसके अलावा केंद्र सरकार हर साल पूरे देश के लिए बजट जारी करती है, जिसमें राज्यों को ही ज्यादातर हिस्सा मिलता है. अगर राज्य टैक्स में बराबर हिस्सेदारी लेंगे तो केंद्र के पास इन खर्चों के लिए ज्यादा पैसे नहीं होंगे. चुनावी प्रचार के दौरान राज्य सरकार तमाम मुफ्त योजनाओं की भी घोषणा की जाती है और टैक्स में उनकी हिस्सेदारी बढ़ाने पर इस तरह की फ्रीबीज का चलन और बढ़ सकता है.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved