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माया के बाद अब ममता की पार्टी में भी हलचल तेज, TMC की बड़ी बैठक में नहीं पहुंचे अभिषेक बनर्जी

March 07, 2025

नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री(Former Chief Minister of Uttar Pradesh) मायावती(mayavathi) ने हाल ही में अपनी पार्टी बीएसपी (party bsp)में कई महत्वपूर्ण बदलाव (Several important changes)किए। उन्होंने अपने भतीजे को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में भी बदलाव की आहटें सुनाई देने लगी हैं। टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में हुई वोटर लिस्ट जांच की महत्वपूर्ण बैठक से गायब रहने के बाद नई अटकलें तेज हो गई हैं। पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा पिछले हफ्ते गठित की गई उच्च स्तरीय समिति की यह पहली पहली बैठक थी।

टीएमसी की बैठक में सब्रता बक्शी के बाद दूसरे स्थान पर होने के बावजूद अभिषेक बनर्जी बैठक में शामिल नहीं हुए। इससे पार्टी के अंदर हलचल मच गई है। कुछ पार्टी नेताओं ने उनकी अनुपस्थिति को मामूली बताया, जबकि अन्य ने यह ध्यान दिलाया कि ममता बनर्जी ने स्पष्ट रूप से यह कहा था कि सभी चुनाव संबंधी कार्य टीएमसी मुख्यालय से ही होंगे न कि कहीं और से। इससे पार्टी के भीतर नई अटकलें लगाई जा रही हैं।


सूत्रों के अनुसार, अभिषेक की अनुपस्थिति उनकी डायमंड हार्बर विधानसभा क्षेत्र में चल रहे ‘सेबाश्रय’ कल्याण शिविरों की अंतिम चरण की तैयारियों के कारण थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुधवार को वह महेशतल्ला में इन शिविरों में व्यस्त थे। हालांकि वह गुरुवार को कोलकाता में थे, लेकिन वह बैठक में शामिल नहीं हुए। अगले सप्ताह 15 मार्च को डायमंड हार्बर की राज्य समिति के सदस्य, जिला अध्यक्ष और संगठनात्मक प्रमुखों के लिए एक वर्चुअल बैठक निर्धारित की गई है, जिसे कुछ सदस्य उनके व्यक्तिगत रूप से उपस्थित न होने का कारण मान रहे हैं।

टीएमसी के भीतर बदलाव की संभावना

गुरुवार की बैठक में टीएमसी नेताओं ने विभिन्न जिलों में वोटर लिस्ट की जांच का जिम्मा सौंपा। सब्रता बक्शी को दक्षिण कोलकाता का जिम्मा सौंपा गया, जबकि अभिषेक को दक्षिण 24 परगना की जिम्मेदारी दी गई। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने सुझाव दिया कि अभिषेक की अनुपस्थिति पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से अधिक विकेन्द्रीकृत कार्य प्रणाली की ओर बढ़ने का संकेत हो सकती है।

भाजपा पर आरोप और टीएमसी की प्रतिक्रिया

यह बैठक भाजपा पर चुनावी लिस्ट में गड़बड़ियों का आरोप लगाने के टीएमसी के व्यापक प्रयास का हिस्सा थी। इससे पहले टीएमसी नेताओं ने जिला कार्यकर्ताओं से मिलकर डोर टू डोर जांच के परिणामों पर चर्चा की थी और भाजपा पर फर्जी वोटरों को लिस्ट में जोड़ने का आरोप लगाया था। पिछले हफ्ते ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि भाजपा ने बाहरी लोगों को वोटरों को लिस्ट में जोड़ा है। इस कार्य में चुनाव आयोग की कथित मदद ली है। उन्होंने कहा कि ऐसे ही तरीके हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली के पिछले चुनावों में भी अपनाए गए थे।

इस संदर्भ में टीएमसी प्रतिनिधिमंडल ने बक्शी के नेतृत्व में राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी से मुलाकात की थी। वोटर कार्ड के लिए एक ‘यूनिक आईडी’ के प्रस्ताव का समर्थन किया था, ताकि धोखाधड़ी और पुनःप्रस्तुति को रोका जा सके। टीएमसी नेताओं ने साफ चुनावी लिस्ट की आवश्यकता पर जोर दिया। फीरहाद हकीम ने कहा, “भाजपा बंगाल के चुनावों को मजाक बनाने की कोशिश कर रही है। जैसे आधार कार्ड और पासपोर्ट के लिए यूनिक आईडी होती है, वैसे ही वोटर कार्ड के लिए भी होनी चाहिए।”

चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि वोटर लिस्ट अपडेट प्रक्रिया पारदर्शी है और इसमें राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) की भूमिका होती है। हालांकि, टीएमसी और अन्य विपक्षी दल अधिक कड़ी जांच की मांग कर रहे हैं, जिसमें ऑनलाइन जोड़े गए नामों की फिजिकल जांच भी शामिल हो।

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